निष्काम कर्म की कामना

निःस्वार्थ मन की भावना 

निर्विकार तन की साधना 

हर्षित हृदय की प्रार्थना 

नवजीवन की नव संकल्पना 

के साथ आइये नव वर्ष मनाया जाएँ। 

हर तरफ मान-मनौव्व्ल मनुहार 

सुलह समझौते समन्वय साहचर्य और सहकार की उर्वर क्यारियाँ सजाया जाए,

पुराने जख्म पुराने घाव और पुराने दर्द

ईर्ष्या द्वेष डाह कलह कलुष भेद-भाव

क्रोध घृणा नफरत लोभ-लालच हवस

उसी मिट्टी में सडा-गला दिया जाए। 

फिर नयी सुनहरी भोर में प्यार-मुहब्बत परोपकार का ही केवल वीरवाॅ लगाया जाए,

सर्द मौसम की सहिष्णु तपिश में 

दया करूणा अहिंसा का अभिसिंचन किया जाए,

तब जरूर अंकुरित होगा हर किसी की चाहतो का पुष्प और पौधा,

उस पुष्प से महकेगा सारा चमन 

उस पौधे पर फल उगेगे शांति और अमन के। 

फिर कभी नहीं पैदा होंगे कोई जख्म कोई घाव और कोई दर्द।


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर कांलेज दरगाह मऊ।



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