चाणक्य नीति कहती है कि इंसान अगर चाह ले तो क्या नहीं कर सकता है. इंसान ही है जो पत्थर को भी तोड़ कर रास्ता बना देता है. लोहे को पिघला कर उसका आकार बदल देता है.
चाणक्य नीति के अनुसार इंसान को कभी खुद को कमजोर और कमतर नहीं आंकना चाहिए. भगवान ने हर इंसान को एक खास चीज के साथ इस धरती पर भेजा है. इंसान जब अपनी इसी खूबी को पहचान लेता है तो उसकी चमक सूरज की तरह फैलने लगती है. लक्ष्मी जी भी ऐसे लोगों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
चाणक्य के अनुसार जब अपनी मेहनत और लगन से बिना रुके लक्ष्य को पाता है तो शत्रु भी ऐसे लोगों की प्रशंसा किए बिना नहीं रहते हैं. व्यक्ति को अपने ज्ञान और परिश्रम पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए. इसके साथ ही जिन लोगों में ये खास बात होती है, वे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं, नित नई सफलता की कहानी लिखते जाते हैं-
ज्ञान को प्राप्त करें- चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति ज्ञान को हासिल करने के लिए आतुर रहता है. ज्ञान को लेकर गंभीर रहता है. ऐसे व्यक्ति पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की कृपा सदैव बनी रहती है. आचार्य चाणक्य के अनुसार ज्ञान ही हर प्रकार के अंधकार को दूर करने की क्षमता रखता है. ज्ञान ही जो बांटने से बढ़ता है. इसलिए ज्ञान कहीं से भी मिले, उसे ले लेना चाहिए. ऐसे लोग समाज और राष्ट्र का गौरव बढ़ाते हैं.
अपने कौशल में वृद्धि करो- चाणक्य नीति कहती है कि ज्ञान के साथ- साथ व्यक्ति को अपने कौशल में भी वृद्धि करते रहना चाहते हैं. कुशल व्यक्ति की जरूरत हर किसी की होती है. जिसके पास किसी भी कार्य को करने के लिए विशेष कौशल है, उसे उच्च पदों पर आसीन लोगों का सरंक्षण प्राप्त होता है. ऐसे लोग विकास में अपना अहम योगदान प्रदान करते हैं.
संस्कारवान बनों- चाणक्य नीति कहती है कि ज्ञान और कुशलता के साथ व्यक्ति को संस्कारवान भी होना चाहिए. संस्कार होने से ज्ञान और कुशलता में चारचांद लग जाते हैं. ऐसे लोग हर स्थान पर सम्मान प्राप्त करते हैं. ऐसे लोग दूसरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं. दूसरे लोग इनसे प्ररेणा प्राप्त करते हैं. संस्कारवान व्यक्ति राष्ट्र को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं.
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