चाणक्य नीति : जीवन में जरूरी है कम से कम एक मित्र, जानिए किस रिश्ते को रखें सबसे करीब


हर किसी की जिंदगी में परिवार, मित्र और सहयोगियों की अलग-अलग तरीके से भूमिका होती है, लेकिन व्यक्ति को आगे बढ़ाने और सफलता तक पहुंचाने के लिए जीवन में मां और सच्चे मित्र की भूमिका सबसे अधिक होती है.

हम आप भले ही खुद की सफलता के लिए अपनी मेहनत और संकल्प को कारण मानते हों, लेकिन आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में व्यक्ति को सफल बनाने में सबसे बड़े मददगार दो करीबी रिश्ते मां और सच्चा मित्र होता है. ऐसे में इनके साथ कभी कोई गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए. इतिहास में भी कई घटनाएं ऐसी रही हैं, जिनमें मां के प्रभाव से पुत्र ने सफलता के झंडे गाड़े हैं तो सच्चे मित्र की मिली मदद ने व्यक्ति को कामयाबी के शिखर तक पहुंचने में मदद की. आचार्य कहते हैं कि इन दोनों ही रिश्तों को बेहद खूबसूरती और सम्मान से सहेजना चाहिए. 

मां के लिए :

- मां के सम्मान में कभी कमी न लाएं, यह समझना जरूरी है कि वह आपके साथ जन्म से हैं, ऐसे में आपकी खूबी या खामी को दुनिया में उनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है.

- मां से कामकाज हो या परिवार संबंधी कोई सुझाव, कभी भी कमतर न आंके, क्योंकि जिंदगी को लेकर उनके अनुभव आपसे कहीं अधिक होंगे. उनके लिए निर्णयों से ही आप मौजूदा सक्षम स्थिति तक पहुंचे हैं.

- मां की तुलना करना ठीक है. आचार्य कहते हैं कि मां अपने जीवन में संतान को पालने के लिए कई रिश्तों के आवरण के बीच रहते हुए निखरती है, उसके अनुभव बेटी, बहन, बहू और मां के तौर पर परिपक्व हो चुके होंते हैं, ऐसे में उनकी तुलना किसी सूरत में ठीक नहीं. 

सच्चे मित्र के लिए :

- कामकाज या संकट के समय खड़ा रहना वाला व्यक्ति ही आपका सच्चा मित्र हो हो सकता है. समय रहते उसकी पहचान कर लेना भी व्यक्ति की योग्यता होती है.

- मित्र से मिले सुझाव को कभी सिरे से न नकारें, ऐसा करने से आप उस मित्र का विश्वास खो सकते हैं, जो न सिर्फ आपके व्यक्तित्व, क्षमता से वाकिफ होता है बल्कि घर परिवार की समस्याओं और चुनौतियों से लड़ने में भी मददगार बनता है.

- आजीविका का साथी अगर आपका मित्र है कि वित्तीय मामलों में पारदर्शिता कभी न खत्म करें, क्योंकि वित्तीय लाभ का लोभ ऐसे रिश्तों में बाधक बन सकता है, लेकिन सच्चा मित्र साथ हो जाए तो आजीविका के क्षेत्र में नए कीर्तिमान भी गढ़ गए हैं.




Comments