उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार ) नियमावली 2021 के प्राविधानों को क्रियान्वित किया जाय

 


नियम-52 के अन्तर्गत निजी/कृषि भूमि पर खनन अनुज्ञा पत्र स्वीकृत किये जांय : डॉ0 रोशन जैकब                    

लखनऊ: 2 नवंबर 2021। निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग उत्तर प्रदेश डॉ० रोशन जैकब ने उत्तर प्रदेश खनिज परिहार नियमावली 2021 के प्रावधानों को पूरी तत्परता के साथ क्रियान्वित किए जाने के निर्देश जिला अधिकारियों को दिए हैं। डा० जैकब ने बताया कि आम जनमानस को उचित मूल्य पर उपखनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने हेतु मा०मुख्यमन्त्री जी की मंशा के अनुरुप निजी / कृषि भूमि पर खनन अनुज्ञा पत्र स्वीकृत किया जाना है।  इस सम्बन्ध में डा० जैकब ने नियम-52 के अन्तर्गत निजी / कृषि भूमि पर खनन अनुज्ञा पत्र स्वीकृत किये जाने हेतु भू-स्वामी के आवेदन पत्रों के सम्बन्ध में प्राथमिकता के आधार पर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने  की अपेक्षा जिलाधिकारियों से की है।

डा०जैकब ने बताया कि नियम- 52 के अन्तर्गत निजी / कृषि भूमि पर जमा बालू या मौरम या बजरी या बोल्डर या इनमें से कोई भी जो मिलीजुली अवस्था में उपलब्ध हो, पर तीन माह के लिए दोगुनी रायल्टी पर खनन अनुज्ञा पत्र स्वीकृत किये जाने का प्राविधान किया गया है। पूर्व में नियम-52क एवं 52ग के अन्तर्गत प्राप्त आवेदन वर्तमान में उक्त नियम-52 के अन्तर्गत स्वीकृत किये जायेंगे।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली, 1963 को अधिक्रमित करते हुए उसके स्थान पर प्रख्यापित उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली 2021 के महत्वपूर्ण प्राविधानों से अवगत कराते हुए उन्हें क्रियान्वित कराये जाने के दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।   उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली, 1963 के नियम-52क एवं 52ग को उपर्युक्त नियमावली 2021 के अन्तर्गत समेकित रूप

से नियम 52 में परिभाषित किया गया है, जो नियम - 74 में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी कृषि भूमि का भूमिघर अपनी भूमि पर जमा बालू या मौरम या बजरी या बोल्डर या इनमें से कोई भी जो मिलीजुली अवस्था में हो, को हटाने के लिये खनन अनुज्ञा-पत्र की स्वीकृति हेतु प्रपत्र एम0एम0 -8 पर तीन प्रतियों में रू0-2000/- (रूपये दो हजार) मात्र की अप्रतिदेय फीस एवं भू- कर सर्वेक्षण मानचित्र की दो प्रतियां, जिसमें आवेदित क्षेत्र स्पष्ट रूप से चिन्हांकित हो, में आवेदन जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। जिलाधिकारी यदि आवश्यक समझे तब राजस्व और भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग से भूमि के स्वामित्व और आवेदित क्षेत्र पर खनिज की उपलब्धता के सम्बन्ध में जांच करायेगे।

सम्बन्धित अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आलोक में जिलाधिकारी, तीन माह से अनाधिक अवधि के लिये भूमिधर के पक्ष में स्वामित्व की दो गुनी धनराशि को अग्रिम रूप में जमा कराकर, खनन अनुज्ञा पत्र स्वीकृत कर सकते है।

जैकब ने समस्त जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है कि वह इस व्यवस्था का क्रियान्वयन व अनुपालन नियमानुसार कराना सुनिश्चित कराएं।

बी एल यादव 

सूचना अधिकारी। 



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