बलिया : जैविक खेती से रासायन मुक्त खाद्यान्न का उत्पादन हो रहा है प्राप्त


बलिया। नमामि गंगे कार्यक्रम  के अन्तर्गत यूपीडास्प, उ0प्र0 द्वारा संचालित जैविक खेती योजना ''Establishment of Organic Farm Clusters in Basin in Uttar Pradesh" (EOFC)  की जनपद स्तरीय शासी निकाय/प्रबन्धकीय समिति की बैठक बुधवार को कलक्ट्रेट सभागार में मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गयी।

साथ ही जैविक खेती की योजना गंगा किनारे स्थित विकास खण्ड सोहाॅव, दुबहड़, बेलहरी, बैरिया एंव मुरली छपरा के 41 राजस्व ग्रामों में संचालित है योजनान्तर्गत 20-20 हे0 के कुल 60 कृषक समूहों का गठन कर 1200/हे0 क्षेत्रफल में कुल 1685 कृषकों को सम्मिलित किया गया है। विकास खण्ड सोहाॅव में 12 समूह, दुबहड़ में 16 समूह, बेलहरी में 17 समूह, बैरिया में 1 व मुरली छपरा में 14 समूहों का गठन किया गया है। योजना का मुख्य उदेदश्य गंगा के किनारे 5-7 किमी के अन्दर स्थित ग्रामों मे बिना रसायनिक खाद प्रयोग किये, जैविक  खेती के माध्यम से गंगा मे हो रहे प्रदुषण को कम करना है। जैविक खेती से मृदा एंव पीने के पानी को भी प्रदुषण रहित किया जा सकेगा। जैविक खेती योजना में फसलोत्पादन का कार्य वर्ष 2020-21 के खरीफ एवं रबी फसल के फसल के उपरान्त वर्तमान खरीफ फसल का उत्पादन किया जा रहा है। शासन द्वारा जैविक खेती करने वाले कृषकों को प्रोत्साहन के रूप प्रथम वर्ष रू0-12 हजार हे0, द्वितीय वर्ष रू0-10 हजार हे0 एंव तृतीय वर्ष रू0-09 हजार हे0 अनुदान दिये जाने की व्यवस्था है। अनुदान की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से सीधे कृषकों के बैंक खातो में प्रेषित की जा रही है। बैठक में उपस्थित कृषक श्री बिरेन्द्र ठाकुर ग्राम जनाड़ी विकास खण्ड दुबहड़, श्री जीतेन्द्र सिंह ग्राम हल्दी विकास खण्ड बेलहरी, एवं श्री रमेश ओझा ग्राम-हृदयपुर विकास खण्ड-मुरलीछपरा ने मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रवीण वर्मा को अवगत कराया कि, जैविक खेती की लागत रासायनिक उर्वरकों से खेती करने की तुलना में बहुत कम है, जैविक खेती में कृषक हरी खाद, गोबर की खाद, जीवामृत, वीजामृत, गोमूत्र, नीम आयल, जैविक कीटनाशक एवं जैविक खादो का प्रयोग कर फसल का उत्पादन कर रहे है। उत्पादन कम प्राप्त हो रहा है, परन्तु जैविक खेती में लागत बहुत कम आती है। शासन द्वारा प्रोत्साहन के रूप में अनुदान प्राप्त होने से कम उत्पादन की भरपाई हो जा रही है। 

श्री इन्द्राज उप कृषि निदेशक/जिला परियोजना समन्वयक यू0पी0डास्प, बलिया ने अवगत कराया कि फसलवार जैविक खेती का प्रमाण पत्र भी कृषकों को दिया जा रहा है। प्रमाण पत्र के आधार पर जैविक उत्पादों का बाजार से अधिक मूल्य पर बिक्री करने से कृषकों को अधिक लाभ प्राप्त होगा। जैविक खेती के क्रियान्वन हेतु नामित सपोर्ट एजेन्सी एएफसी इण्डिया लिमिटेड के प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्येक फसल सीजन में कृषकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जैविक खेती से रासायन मुक्त खाद्यान्न का उत्पादन प्राप्त हो रहा है, जो अच्छे स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य वर्धक भी है। नियमित रूप से जैविक खेती करने से मृदा स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया कि कृषकों को जैविक खेती का सामयिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाय, तथा उनकी समस्याओं का समाधान समय से किया जाय। जैविक खेती अपनाने से मृदा सुधार के साथ-साथ सतत् उत्पादन प्राप्त होगा। 

बैठक में श्री इन्द्राज उप कृषि निदेशक/जिला परियोजना समन्वयक यूपी डास्प, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, जिला गन्ना अधिकारी, श्री बीएन मिश्रा, जिला समन्वयक एएफसी इण्डिया लिमिटेड एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहें। 



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