चाणक्य नीति : व्यक्ति की बर्बादी का कारण बनती हैं उसकी ये 5 आदतें, फौरन कर देना चाहिए त्याग


आचार्य चाणक्य एक महान कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद थे। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है। चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने जीवन को सुखमय बनाने वाली कई नीतियों का वर्णन किया है। चाणक्य ने नीति शास्त्र में व्यक्ति की ऐसी 5 आदतों का जिक्र किया है, जो उसकी बर्बादी का कारण बन सकती हैं। आप भी जान लीजिए-

1. लापरवाही- चाणक्य कहते हैं कि लापरवाही का नतीजा नुकसान होता है। अगर कोई काम शुरू करने जा रहे हैं जिसकी आपको पूरी जानकारी नहीं है। ऐसे में नुकसान से बचने के लिए किसी अनुभवी से सलाह लेना उचित रहता है।

2. आलस- चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति की बर्बादी का कारण आलस भी बनता है। चाणक्य के अनुसार  व्यक्ति को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए। हर काम को समय पर पूरा करना चाहिए। आलस से दूर होने पर ही किसी को काम को उचित ढंग से पूरा किया जा सकता है।

3. नशा- चाणक्य कहते हैं कि अत्यधिक नशे की आदत किसी भी व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है। नशे से आर्थिक स्थिति खराब ही नहीं होती बल्कि मानसिक और शारीरिक हानि भी होती है। चाणक्य कहते हैं कि नशा करने वाला व्यक्ति गलत संगत नें पड़ जाता है और उसका भविष्य खराब हो जाता है।

4. गलत संगत- चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा गलत संगत से दूर रहना चाहिए। चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति जिस संगत में रहता है, वह वैसी ही बन जाता है। अच्छे लोगों के साथ रहने पर व्यक्ति अच्छे काम और बुरे लोगों के साथ रहने पर व्यक्ति बुरे काम करता है।

5. काम- काम से अर्थ यहां यौन-क्रिया से है। चाणक्य नीति के अनुसार, काम की गलत आदत लगने वाले लोगों का जीवन बर्बाद हो जाता है। इससे व्यक्ति मानसिक और शारीरिक तौर पर नष्ट होता जाता है। इसलिए इस आदत को त्याग देने में ही व्यक्ति की भलाई होती है।





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