कान्हा का जन्मदिवस देशभर में उत्साह से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन शिक्षाओं से भरा हुआ है। श्रीमद्भगवतगीता के रूप में उन्होंने आध्यात्मिकता की वैज्ञानिक व्याख्या दी, जो मानवता के लिए आशा का सबसे बड़ा संदेश है। आइए जानते हैं मुरलीधर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा का नाम हमेशा आता है लेकिन किसी भी धर्मग्रंथ में राधा का जिक्र नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा उज्जैन में संदीपनी आश्रम में कुछ महीनों में पूरी कर ली थी। भगवान श्रीकृष्ण ने डांडिया रास का आरंभ किया। जब गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर उठाया तो वह सात दिन तक भूखे रहे, जबकि भगवान आठ प्रहर भोजन करते थे। गोकुल के लोगों को जब ये बात पता चली तो गोवर्धन पर्वत की पुन: स्थापना के बाद लोगों ने आठ बार के हिसाब से 56 तरह के पकवान बनाकर भगवान को खिलाया था और तभी से भगवान को 56 भोग अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई।
कलारीपट्टु का प्रथम आचार्य कृष्ण को माना जाता है। इसी कारण नारायणी सेना सबसे भयंकर प्रहारक सेना बन गई। भगवान श्रीकृष्ण ने कई युद्धों का संचालन किया, लेकिन इनमें तीन सबसे ज्यादा भयंकर युद्ध थे। पहला महाभारत, दूसरा जरासंध और कालयवन के विरुद्ध, तीसरा नरकासुर के विरुद्ध। भगवान श्रीकृष्ण के खड्ग का नाम नंदक, गदा का नाम कौमौदकी, चक्र का नाम सुदर्शन और शंख का नाम पांचजन्य था, यह गुलाबी रंग का था। भगवान श्रीकृष्ण ने विश्व का प्रथम जीवाणु युद्ध किया था। जब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे उस समय हनुमान जी रथ के ध्वज में मौजूद थे और संजय अपनी दिव्य दृष्टि से गीता का सार सुन रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण अंतिम वर्षों को छोड़कर कभी भी द्वारिका में छह महीने से अधिक नहीं रहे। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज 17 वर्ष की आयु में छोड़ा था। उसके बाद वह सिर्फ एक बार राधारानी से मिले।
भगवान श्रीकृष्ण के अवतार का अंत एक बहेलिये के तीर से हुआ, माना जाता है कि यह बहेलिया पिछले जन्म में बालि था। जब भगवान राम ने बालि को मारा था तो कहा था कि अगले जन्म में मेरी मृत्यु भी तुम्हारे हाथों होगी। मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है। इस व्रत को करने से अनेक व्रतों का फल प्राप्त होता है। जन्माष्टमी के दिन सात कन्याओं को खीर खिलाई जाए तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जन्माष्टमी के दिन पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज दान करना चाहिए।
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