केंद्र सरकार ने कहा, हर घर में प्रीपेड बिजली मीटर लगवाना अनिवार्य


बिजली मंत्रालय के अनुसार राज्यों के बिजली नियामक आयोगों को यह व्यवस्था लागू करने में दो बार विशेष परिस्थितियों में चुनिंदा ग्राहकों और क्षेत्रों के लिए समय बढ़ाने की सुविधा दी जाएगी। लेकिन दोनों बार यह छूट छह-छह महीनों से अधिक नहीं होगी।

नई दिल्ली। बिजली मंत्रालय ने कृषि कार्यों को छोड़कर हर प्रकार के बिजली ग्राहक के लिए प्रीपेड मीटर लगवा लेने की समय सीमा निर्धारित कर दी है। इसके तहत अधिकांश बिजली ग्राहकों को दिसंबर, 2023 तक, राज्यों को विशेष परिस्थितियों में अधिकतम दिसंबर, 2024 तक और बच गए क्षेत्रों के ग्राहकों को मार्च, 2025 तक स्मार्ट प्रीपेड मीटर अपना लेना होगा। मंत्रालय ने गुरुवार को जारी अधिसूचना में कहा है कि देशभर के जिन इलाकों में भी संचार व्यवस्था की पहुंच है, वहां तक कृषि कार्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के ग्राहकों को प्रीपेड मीटर की आपूर्ति की जाएगी।

मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार सभी केंद्र शासित प्रदेशों में दिसंबर, 2023 तक ग्राहकों को स्मार्ट प्रीपेड मीटर अपना लेना होगा। जिन बिजली परिक्षेत्रों में 50 फीसद से अधिक शहरी ग्राहक हैं और जहां वित्त वर्ष 2019-20 में कुल तकनीकी व वाणिज्यिक बिजली क्षति 15 फीसद से अधिक रही है, उन्हें भी इसी अवधि तक स्मार्ट प्रीपेड मीटर से जोड़ दिए जाने का लक्ष्य है। फिर, जिन अन्य बिजली परिक्षेत्रों में उसी वित्त वर्ष के दौरान कुल तकनीकी व वाणिज्यिक बिजली क्षति 25 फीसद से अधिक रही है, वहां भी दिसंबर, 2023 तक स्मार्ट मीटर लगाने का काम पूरा किया जाना अनिवार्य होगा। इनके अलावा ब्लाक स्तर और उसके ऊपर के सभी सरकारी विभागों व औद्योगिक तथा वाणिज्यिक ग्राहकों को इस तिथि तक प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर अपना लेना होगा।

बिजली मंत्रालय के अनुसार राज्यों के बिजली नियामक आयोगों को यह व्यवस्था लागू करने में दो बार विशेष परिस्थितियों में चुनिंदा ग्राहकों और क्षेत्रों के लिए समय बढ़ाने की सुविधा दी जाएगी। लेकिन दोनों बार यह छूट छह-छह महीनों से अधिक नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि राज्यों के बिजली नियामक आयोगों के तहत आने वाले ग्राहकों को भी दिसंबर, 2024 तक स्मार्ट मीटर अपना लेना होगा। अन्य सभी क्षेत्रों में स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगाने की अवधि मार्च, 2025 रखी गई है। हालांकि जिन क्षेत्रों में अभी तक संचार व्यवस्था की पहुंच नहीं बन पाई है, वहां के राज्य नियामक आयोग इस बारे में फैसला करेंगे।





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