चाणक्य नीति : व्यक्ति का ये होता है सबसे बड़ा तप, रोग, धर्म और सुख


आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कई नीतियों का वर्णन किया है। जिसे अपनाकर आज भी लोग अपनी परेशानियों का हल पाते हैं। ये नीतियां व्यक्ति को सही रास्ता दिखाने के साथ ही सफलता भी दिलाती हैं। चाणक्य एक कुशल राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार और अर्थशास्त्री थे। उन्होंने एक साधारण बालक चंद्रगुप्त को मौर्य वंश का सम्राट बना दिया था। आचार्य चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि आखिर व्यक्ति का सबसे रोग और सुख क्या होता है-

1. चाणक्य ने संतोष को सबसे बड़ा सुख बताया है। इस संसार में व्यक्ति कुछ भी हासिल कर ले, लेकिन मन कभी संतुष्ट नहीं होता है। इसलिए वह हमेशा परेशान रहता है। आचार्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के पास संतुष्टि या संतोष होता है, वह इस संसार का सबसे सुखी व्यक्ति होता है।


2. चाणक्य ने शांति को सबसे बड़ा तप बताया है। उनका मानना था कि दुनिया की कई सुख-सुविधाएं लोगों के पास होती हैं, लेकिन उनके पास शांति की कमी होती है। जब व्यक्ति अपने मन पर वश कर लेता है या वह अपने जीवन में शांति की खोज कर लेता है, समझिए उसका जीवन सफल हो गया।

3. चाणक्य ने व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु लालच बताया है। चाणक्य कहते हैं कि लालची व्यक्ति की कामना कभी खत्म नहीं होती है, वह हमेशा दूसरों की चीजों को पाने की तमन्ना रखता है। ऐसे व्यक्ति के पास न ही सुख होता है और न ही शांति। चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने लालच पर विजय प्राप्त कर ली, वह संसार के सुख व्यक्तियों में से एक होता है।

4. चाणक्य कहते हैं कि दूसरों के प्रति दया भाव रखना सबसे बड़ा धर्म होता है। अगर इंसान दयालु नहीं होता है, तो वह पशु समान है क्योंकि भगवान ने इस लायक इंसान को बनाया है। चाणक्य के अनुसार, दया ही सबसे बड़ा धर्म है।





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