सावन के महीने में शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान शिव को अति प्रिय महीना है। इस बार सावन की शुरुआत 25 जुलाई से हो रही है। आइए जानें शिव की विशेष कृपा पाने के लिए जानें सावन में कैसे करें पूजन और बिल्व पत्र का महत्व :-
शिव के इस अत्यधिक प्रिय श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र, शिव सहस्त्रनाम, रुद्राभिषेक, शिवम हिमन्न स्त्रोत, महामृत्युंजय सहस्त्र नाम आदि मंत्रों का व्यक्ति जितना अधिक जाप कर सके उतना श्रेष्ठ होता है। स्कन्द पुराण के अनुसार प्रत्येक दिन एक अध्याय का पाठ करना चाहिए। यह माह मनोकामनाओं का इच्छित फल प्रदान करने वाला होता है। नियम पूर्वक शिव पर बिल्व पत्र प्रतिदिन निश्चित संख्या में (5,11,21,51,108) तथा अर्क पुष्प चढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए। इस माह रुद्राष्टाध्यायी पाठ द्वारा शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए तथा रुद्री पाठ द्वारा सहस्त्रधारा से अभिषेक करना चाहिए। इस माह में मंत्रों षडाक्षर शिव मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का पुनःश्चरण भी अति उत्तम है। इस माह में बिल्व वृक्ष तथा कल्प वृक्ष का भी पूजन करना उत्तम रहता है।
सावन में शिव का कैसे करें पूजन : शिव जी की पूजा में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, रोली, चावल, फूल, बेल पत्र, दूर्वा, आक, धतूरा, कमलकट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंच मेवा, धूप, दीप, दक्षिणा सहित पूजा करने का विधान है। साथ ही कपूर से आरती करके भजन, कीर्तन और रात्रि जागरण भी करना चाहिए। पूजन के पश्चात रुद्राभिषेक भी कराना चाहिए। ऐसा करने से भोलेनाथ शिव शीघ्र ही प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। सोमवार का व्रत करने से पुत्र, धन, विद्या आदि मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
सावन पूजा में बिल्व पत्र : बेल पत्रों का भगवान शिव की पूजा में विलक्षण महत्व है। भगवान शिव बेल पत्रों से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पुराणों के अनुसार बिल्व पत्र के त्रिदल तीन जन्मों के पाप नाश करने वाले होते हैं। बिल्व पत्र के सम्बंध में विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि अन्य सभी पुष्प तो सीधी अवस्था में भगवान पर चढ़ाये जाते हैं, लेकिन एक मात्र बिल्व पत्र ही ऐसा है जो उल्टा रखकर भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। खास बात यह है कि बेल पत्र को पुनः धोकर भी चढ़ाया जा सकता है। इसमें किसी प्रकार का दोष नहीं लगता।
0 Comments