एक बार फिर सोच लो सन्तोषी बहन, तुम ये अपना पुश्तैनी सोना अपनी बिटिया भवानी के उस लोहे की तलवार बाजी (फेंसिंग) के खेल के लिए गिरवी रखना चाहती हो, जिसका कोई भविष्य नही। बच्चों का क्या है, वो तो नासमझ होते हैं, हम बड़ों को ही उनका अच्छा बुरा सोचना होता है।
मैं तो तुम्हें फिर एक बार समझा रहा हूं, तुम ये अपना पुश्तैनी जेवर, सोना बिटिया भवानी की शादी में काम में लेना। अब तो पुजारी जी (भवानी के पिताजी) जी भी नही रहे, तुम्हें ही सब कुछ देखना और सम्हालना है। इस जमा-पूंजी को यूं ही बेकार के शौक में खत्म ना करो। आगे जैसी तुम्हारी मर्जी...
सेठ विश्वभर लाला जी ने भवानी की माँ सन्तोषी देवी से कहा तो ..
सन्तोषी देवी ने लाला विश्वभर दास की बात का जवाब देते हुए कहा...
लाला जी असली सोना ये हार ये जेवर नही, असली सोना तो मेरी लाड़ो की प्रतिभा है, उसके सपने हैं, उसका हुनर है। मैं जानती हूं यदि उसके हुनर को अच्छे से तराशा जाये और उसके सपनों को पंख मिले तो एक दिन वो हमारे देश के लिए सच्चा सोना (मेडल) जरूर लायेगी।
और वो दिन था और आज का दिन जब भवानी बिटिया ने अपनी मां की लग्न, मेहनत समर्पण, त्याग समर्पण को सच कर दिखाया है, और पहली बार ओलंपिक खेलों में तलवार बाजी (फेंसिंग) को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है तो, लाला विश्वभर दास भवानी की मां को बधाई देते हुए कहते हैं।
बधाई हो संतोषी बहन तुम सच कहती थी, सच्चा सोना जेवर गहने नहीं, बच्चों की प्रतिभा होती है, जिसे हर मां बाप और समाज को समझना चाहिए। जिससे हम हमारे देश के छिपे हीरों को निखार सके तराश सकें।
इस सन्दर्भ में जमील मजहरी की दो पंक्तियां याद आती है...
जलाने वाले जलाते ही है चराग आखिर,
ये क्या कहा कि हवा तेज है ज़माने की।
भवानी देवी ने 14 वर्ष की उम्र में पहली बार देश की नुमाइंदगी की थी तलवारबाजी में।
-मलेशिया में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में पहला पदक जीता।
-आज भवानी देवी 9 बार चैंपियन खिताब जीत चुकी है।
-2010 में इंटरनेशनल ओपन, कैडट एशियन मे कांस्य जीत चुकी है।
-राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप 2012 में जीत हासिल की।
-अंडर 23 एशियाई चैंपियनशिप 2014 में जीत हासिल की।
-अंडर 23 एशियाई चैंपियनशिप और फलेमिस ओपन में पदक जीते हैं।
अंत में सलाम करना चाहूंगी अपनी देश की बेटी भवानी देवी को, जिसकी बदौलत फेंसिंग (तलवार बाजी) में पहली बार भारत को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली, और फेंसिंग प्राथमिक खेलों में शामिल हो सका।
जय हिन्द, जय भारत
अपनी कलम से
ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलंदशहर, उत्तरप्रदेश
ritu.gupta.kansal@gmail.com
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