विश्व पर्यावरण दिवस : पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन से ही बचेगा हमारा अस्तित्व : अभिनव पाठक

   





बलिया। प्रति वर्ष 5 जून को मनाया जाने वाला 'पर्यावरण दिवस' पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने का संकल्प दिवस है,जिसके तहत किसी न किसी थीम का संकल्प लेकर हम पूरे वर्ष पर्यावरण को बचाने का कार्य करते है। इष वर्ष का विषय है-"पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली करना"। इसी थीम को लेकर द्वारिका प्रसाद सिन्हा गर्ल्स पी जी कालेज बाँसडीह में NSS (राष्ट्रीय सेवा योजना) के अंतर्गत " पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली की आवश्यकता " नामक विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अभिनव पाठक ने कहा कि  जीवों एवं वनस्पतियों का उनके अपने चारों तरफ के वातावरण के साथ जो परस्पर संबंध रहता है, उसे पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है। इस प्रकार पारिस्थितिकी तंत्र एक क्षेत्र विशेष में विकसित वह इकाई या व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव समुदाय (पादप एवं जीव- जंतु) होते हैं, जिनपर अजैविक कारकों का नियंत्रण होता है।

अभिनव पाठक ने यह भी बताया कि जब मानव अपने क्षुद्र स्वार्थ एवं अनियोजित-अनियंत्रित विकास की दौड़ में अंधा होकर पादप एवं जीव-जंतु समुदाय के निवास्य को निरन्तर अबाध गति से नष्ट करना प्रारम्भ कर दिया तो इन समुदायों का विनाश होने लगा और पादप तथा जीव-जंतुओं का निरन्तर ह्रास होने लगा, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में भी असंतुलन उत्पन्न होने लगा, जिसके फलस्वरुप अनेक तरह की पर्यावरणीय एवं आपदाजन्य समस्याएं उत्पन्न होकर मानव के विनाश के लिए भी तत्पर दिखाई दे रही हैं। ऐसी स्थिति में पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो गया है,कारण कि यदि पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित नहीं हुआ तो पारिस्थितिकी तंत्र के प्राकृतिक चक्र में ऐसी बाधा उत्पन्न होगी कि मानव जाति का विनाश भी संभावित दिखाई देने लगा है। 

पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए सबसे आवश्य बात यह है कि जिन कारणों से असंतुलन उत्पन्न हो रहा है, उस पर तत्काल रोक लगायी जाय। इसके बाद जो घटक अपनी जगह खो चुके हैं अथवा जिनका विनाश हो चुका है, उनकी पहचान कर उन्हें पुनः पुनर्स्थापित किया जाय और पारिस्थितिकी तंत्र की सतत निगरानी किया जाय ताकि कोई उनको विनष्ट न कर पाए। पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने हेतु सबसे आवश्यक है वनों को लगाना। यदि धरती पर्याप्त वनों से आच्छादित हो जाय तो अनेक तरह के पारिस्थितिकी तंत्र जैसे- जल पारिस्थितिकी, पादप पारिस्थितिकी, जीव पारिस्थितिकी, मृदा पारिस्थितिकी स्वतः संतुलित हो जायेंगी। अन्यथा वह दिन दूर नही जब हम अपने ही हाथों अपना विनाश होते देखते रह जायेंगें और अंततः कुछ नहीं कर पायेंगे।

उक्त गोष्ठी में सेव प्लांट सेव लाइफ NGO के सम्मानित सदस्यो द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये गए तथा अशोक, अमरूद तथा नीम के वृक्षो का रोपण किया गया।

महाविद्यालय के NSS कार्यक्रम समन्यवक श्री बदरे आलम, प्रबंधक श्री अभिषेक आनंद सिन्हा, अध्यक्ष-श्री अमृत आनंद, के द्वारा मौलश्री, आंवला, नीम इत्यादि वातावरण शुद्धि करने वाले वृक्षो का रोपण महाविद्यालय परिसर में किया गया। उक्त अवसर पर गौरव, हिमांशु, शिवप्रकाश, मनोज चौबे, राधेश्याम पांडेय, विंध्यांचल सोनी, रितेश सिंह एवं NSS की स्वयंसेविकाओं ने महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।



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