आलीशान महलों में.....

आलीशान महलों में 

या गगनचुंबी अट्टालिकाओं में 

या सुरक्षाकर्मियों से सजे बंगलों में,

रुतबा, रसूख, ओहदा, तमगा, 

दौलत और शोहरत रहती हैं,

सुना है वहाँ कोई आदमी नहीं रहता। 

बंद लक्जरी गाड़ियों में

या लम्बे-लम्बे काफिलों में 

या बुलेटप्रूफ सफारियों में,

हनक, हेकडी, शाही अंहकार,अमीरी

और ताकत का नशा चलता है,

सुना है इसमें कोई भूला-भटका

मुसाफ़िर नहीं चलता हैं। 

क्योंकि-

मुसाफिर तो पगडंडियों की धूंल फाॅकता

हुआ चलता है। 

यही नहीं सच्चा मुसाफिर 

राहगीरों से दुख-दर्द बाँटता हुआ 

या राहगीरों के दुख-दर्द का 

हिस्सा बन कर चलता हैं। 

पंचसितारा होटलों में 

या रसूखदारों की शानदार पार्टियों में,

या मशहूर और 

काफी रईस और बडे ओहदेदारो 

की दावतों में,

सत्ता की टोपियाँ, शंतरंजी खोपड़ियाॅ

और नामचीन हस्तियाँ 

लजीज़ पकवानों का 

जमकर लुत्फ़ लेतीं हैं। 

सुना है वहाँ कोई भूखा 

भरपेट भोजन करने नहीं जाता हैं। 


मनोज कुमार सिंह "प्रवक्ता"

बापू स्मारक इंटर काॅलेज दरगाह मऊ। 

उप सम्पादक, कर्मश्री मासिक पत्रिका।



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