क्या कोरोना संक्रमित होने के बाद नहीं है वैक्‍सीन लगवाने की जरूरत? जानें एक्‍सपर्ट की राय


कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह से संक्रमण के मामले बढ़े हैं उसके बाद कोरोना वैक्‍सीन को इस जंग में बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है.

नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह से संक्रमण के मामले बढ़े हैं उसके बाद कोरोना वैक्‍सीन को इस जंग में बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है. सरकार की भी कोशिश है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को जल्‍द से जल्‍द कोरोना वैक्‍सीन दी जाए. हालांकि सरकार के इन प्रयासों के बीच कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन्‍हें फिलहाल वैक्‍सीन की कोई जरूरत नहीं है. इंडियन पब्लिक हेल्‍थ एसोसिएशन के अध्‍यक्ष और एम्‍स के प्रोफेसर डॉ. संजय राय के मुताबिक जिन लोगों को कोराना संक्रमण हो चुका है, उन्हें वैक्सीन की तत्काल जरूरत नहीं है. डॉ. राय के मुताबिक शरीर में बनने वाली नेचुरल इम्युनिटी किसी भी वैक्सीन से ज्यादा असरदार और लंबे वक्त तक रहती है.

डॉ राय ने कहा देश में जिस तेजी से कोरोना का संक्रमण बढ़ा है उसे देखने के बाद हर किसी को फिलहाल वैक्‍सीन की जरूरत नहीं दिखाई देती है. उन्होंने कहा कि सरकार को सबसे पहले इन बातों पर गौर करना चाहिए कि किस एरिया में कितने लोगों को संक्रमण हुआ है. उन्होंने कहा कि सीरो सर्विलांस के जरिए इसका पता चलता है. इसमें सीरम का टेस्ट होता है. उन्‍होंने कहा कि जिन भी इलाकों में 70 प्रतिशत या उससे अधिक लोगों को कोरोना हो चुका है उसे पूरी तरह से खोल देना चाहिए.

डॉ. राय ने कहा, जिन इलाकों में 10 से 15 प्रतिशत ही लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं उन्‍हें पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम को तेज करने की जरूरत है. इस तरह वैक्सीन की कमी को भी दूर किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि अभी के हालात को देखते हुए मुझे सभी लोगों को वैक्सीन लगाने का औचित्य नहीं दिखाई देता. डॉ. राय ने कहा कि अभी तक जो एविडेंस सामने आए हैं उनसे साफ है कि एक बार कोरोना इंफेक्शन होने पर 9 महीने तक उससे प्रोटेक्शन रहता है. डॉ. राय के मुताबिक, नेचुरल इम्युनिटी किसी भी वैक्सीन की तुलना में ज्यादा समय तक और ज्यादा बेहतर तरीके से संक्रमण से बचाव करती है.

कोरोना से दोबारा संक्रमण का खतरा भी बना रहता है

डॉ. राय से जब पूछा गया कि कई बार कोरोना संक्रमित मरीज के दोबारा संक्रमण का खतरा रहता है तो उन्‍होंने कहा ऐसे केस ज्‍यादातर माइल्‍ड हैं. उन्‍होंने कहा कि मैंने अपने अध्‍ययन में पाया है कि जिन मरीजों को कोरोना हुआ और उनके शरीर में इम्‍युनिटी बनी उन्‍हें कोरोना का दूसरा खतरा कम था. लेकिन जिन लोगों के शरीर में वैक्‍सीन के बाद इम्‍युनिटी बनी वो लोग कोरोना से जल्‍दी संक्रमित हुए और उनकी मौत का आंकड़ा भी ज्‍यादा है.




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