महामारी या महासाज़िश : जैविक हथियारों से तीसरा विश्व युद्ध कराना चाहता है चीन!


अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी ने भूचाल लाने वाला खुलासा किया है. पीएलए से जुड़े वैज्ञानिक और हथियार विशेषज्ञों ने भी उस दावे का समर्थन किया है. जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोरोना चीन का बायोलॉजिकल वेपन है?

बात 2019 की शुरुआत की है. अमेरिका और चीन में ठनी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि कहीं दोनों देशों के बीच जंग न हो जाए. वहीं 2020 में भारत और चीन के बीच तनाव जैसे हालात थे. आशंका थी कि कहीं जंग न हो जाए. इसी बीच कोरोना दस्तक देता है और पूरी दुनिया में कहर बरपाने लगता है. इस वक्त दुनिया में 16 करोड़ लोग संक्रमित हैं. 36 लाख मरीजों की जान जा चुकी है. इनमें से 6 करोड़ कोरोना केस भारत और अमेरिका में हैं. सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं हुई हैं. चीन के दुनिया में सबसे बड़े दुश्मन भारत और अमेरिका हैं. इसलिए सवाल उठ रहा है कि ये महामारी कोई साजिश तो नहीं है. 

अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी ने भूचाल लाने वाला खुलासा किया है. पीएलए से जुड़े वैज्ञानिक और हथियार विशेषज्ञों ने भी उस दावे का समर्थन किया है. जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोरोना चीन का बायोलॉजिकल वेपन है? क्या कोरोना के ज़रिए चीन ने जैविक युद्ध की टेस्टिंग की है? क्या चीन वुहान की लैब में अब भी जैविक हथियार बना रहा है? क्या चीन तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी इन्हीं जैविक हथियारों से कर रहा है? 

न कहीं एलान-ए-जंग हुआ. न कहीं फौज तैनात हुई और न कहीं कोई बमबारी. लेकिन फिर भी दुनिया भर के लाखों लोग पेड़ के पत्तों की तरह झड़ गए. मर गए. देश के देश तबाह और बर्बाद हो गए. अर्थव्यवस्थाएं काल के गर्त में समा गईं. दहशत इतनी फैली जितनी एटम बम के गिरने से भी नहीं फैली थी. यही अलामत है जैविक हथियार की. जिसे बायोलॉजिकल वेपन कहते हैं. 

इतिहास गवाह है कि जब भी इस तरह की कोई अनसुलझी पहेली सामने आती है. तो साजिशों की बू आने लगती है. ऐसा ही कुछ शक-ओ-शुबह कोरोना वायरस और उसके अचानक फैलकर तबाही मचाने को लेकर भी जाहिर किया जा रहा है. ये सवाल पूरी दुनिया की फिजा में तैर रहा है कि कहीं ये किसी जैविक युद्ध या बायोलॉजिकल वार का प्रयोग तो नहीं है. या फिर चीन ने जैविक आतंकवाद या बायोटेररिज्म की शुरुआत कर दी है? 

कोरोना का कहर तो दुनिया पर पिछले एक साल से टूट रहा है और जब इसकी शुरुआत हुई थी तब भी ऐसी बातें कही गई थीं. मगर तब कोई सबूत नहीं था. अब है. सबूत के साथ ही ये दावा किया जा रहा है कि चीन के वैज्ञानिक वर्ल्ड वार-3 की तैयारी करने के लिए जैविक हथियारों को बना रहे हैं. ये तैयारी एक दो साल से नहीं बल्कि चीन में पिछले 6 सालों से चल रही है. अमेरिकन खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वर्ल्ड वार-3 के अंदेशे में और उसमें जीत हासिल करने के लिए चीन जैविक हथियार का सहारा लेगा. बस सही वक्त की तलाश में है चीन. वो वक्त आने के बाद ड्रैगन दुनिया के ऊपर जैविक हथियार छोड़ सकता है. 

चीन का मकसद दुश्मनों के मेडिकल फैसिलिटी और अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देना है. ताकि दुश्मन खुद उसके आगे घुटने टेक दे और ऐसा हो भी रहा है. खुले तौर पर चीन के दो दुश्मन हैं. अमेरिका और भारत. कोरोना की इस तबाही पर नज़र डालें तो सबसे ज़्यादा तबाही इन्हीं देशों पर आई है. दुनिया में कोरोना के मामलों में भी भारत और अमेरिका ही टॉप पर हैं. और अब हमारे देश के साथ साथ अमेरिका की भी ये हालत हो गई है कि इस सदमें से ऊबर में सालों लग जाएंगे. इसीलिए लगातार अमेरिकी नेता, अधिकारी और खुफिया एंजेंसियां ये सवाल उठा रही हैं कि कोरोना की शुरुआत कहां से हुई, इसकी जांच होनी ही चाहिए और चीन का मक़सद भी दुनिया के सामने आना चाहिए. 

अमेरिका खुफिया अधिकारियों के हाथ एक ऐसा चीनी दस्तावेज़ लगा है, जिसकी जांच के बाद ये दावा किया जा रहा है कि वुहान में मौजूद एक वायरोलॉजी लैब का कोरोना वायरस से ना सिर्फ गहरा कनेक्शन है बल्कि वुहान लैब में चीन बॉयोलॉजिकल हथियार तैयार करने की कोशिश कर रहा है. इसी दौरान वायरस लीक हुआ. लिहाज़ा चीन पर बहुत बड़ा सवाल उठ रहा है कि कहीं उसने जानबूझकर तो नहीं पूरी दुनिया को इस मुसीबत में झोंका है? क्या कोरोना का ये वायरस उसके बायोलॉजिकल वेपन का हिस्सा है. जिसकी चीन टेस्टिंग कर रहा है.   

खुलासा करने वाली रिपोर्ट के 18 राइटर्स में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से जुड़े वैज्ञानिक और हथियार विशेषज्ञ भी शामिल हैं. पीएलए के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों के इस डोजियर में  बीमारी के साथ छेड़छाड़ कर एक ऐसे हथियार को बनाने की जांच का जिक्र किया गया है. जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. वरिष्ठ चीनी अधिकारियों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी लोगों के इरादों पर डर ज़ाहिर किया है. क्योंकि इसमें बताया गया है कि कौन से हालात में इस तरह के हथियार को जारी किया जाए. ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सके. इतना ही नहीं डोज़ियर में ये लिखा गया है कि ऐसे हमले साफ दिन में नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि सूरज की रोशनी रोग-जनकों को मार सकती है. जबकि बारिश या बर्फबारी दिशा प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए जब हवा शांत हो तभी टार्गेट पर निशाना लगेगा. इतनी डिटेलिंग का मतलब ही ड्रैगन का मिशन कुछ और है. 

द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन नाम की मैगज़ीन की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि चीन के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के एक जैविक हथियार की तरह देख रहे थे और इसके बारे में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके काफी करीबी लोगों को पता था. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चीन इस कोरोना वायरस को मिलिट्री विकल्प के तौर पर देख रहा था. क्योंकि उसे लगता है कि अगला विश्वयुद्ध बम बारूद से नहीं बल्कि जैविक हथियारों से होगा. जो एटम बम से भी ज़्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं. अगर हम कोरोना के वायरस को बायोलॉजिकल वेपन मानें तो मतलब तबाही अभी और है. 

बायोलॉजिकल वैपन कहर ढहाने वाला सस्ता और असरदार हथियार है. ये वो हथियार है जो किसी मिसाइल, बम, गोली से भी कई गुना खतरनाक हैं. तो क्या कोरोना वायरस चीन के उन्हीं बायोलॉजिकल हथियारों में से एक है. क्या चीन अपनी प्रयोगशालाओं में कई और वायरस तैयार कर रहा है. जानकारों का मानना है कि ये कोरोना वायरस से कई गुना तेजी से फैलने में सक्षम होंगे और कई गुना ज्यादा जानलेवा भी.

जानकारों का मानना है कि चीन हर वो कोशिश कर रहा है जिससे दुनिया की राजनीति को उसकी लैब से कंट्रोल किया जा सके. आपको याद होगा कि 2020 के शुरुआत में और कोरोना वायरस के आने से पहले अमेरिका ने चीन को चारों तरफ से घेरना शुरु कर दिया था. जंग जैसे हालात बनने लगे थे. भारत के साथ भी चीन ने घुसपैठ करा के ऐसे ही हालात पैदा कर दिए थे. मगर तभी अचानक एंट्री होती है कोरोना की. ऐसा माहौल बना कि जंग तो छोड़िए अमेरिका जीने के लिए भी जूझने लगा. वही हाल आज हमारे देश का हो रहा है जबकि चीन में लोग पहले जैसी ही ज़िंदगी जी रहे हैं.

कोरोना वायरस संक्रमण को बायोलॉजिकल वेपन बताने की चर्चा के बाद इस बात की आशंका भी तेज हो गई है कि भविष्य में आतंकवादी भी जैविक हथियार का इस्तेमाल कर सकते है. फ्रांस ने ये चेतावनी बहुत पहले दी थी कि अगर आतंकियों के हाथ ये हथियार लग गया तो तबाही ही तबाही होगी. 

साभार- आजतक




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