यह पर की जाती है कुतिया महारानी की पूजा, जानिए क्यूं?

हिंदू धर्म में यूं तो 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र मिलता है.लेकिन झांसी के एक गांव में जिस देवी की पूजा की जाती है उनका नाम आपने यकीनन नहीं सुना होगा. झांसी के तहसील मऊरानीपुर में कुतिया महारानी मां का मंदिर है. मंदिर में नियम से पूजा-पाठ भी होता है.

कुतिया देवी का मंदिरहिंदू धर्म में यूं तो 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र मिलता है.लेकिन झांसी के एक गांव में जिस देवी की पूजा की जाती है उनका नाम आपने यकीनन नहीं सुना होगा. झांसी के तहसील मऊरानीपुर में कुतिया महारानी मां का मंदिर है. मंदिर में नियम से पूजा-पाठ भी होता है. इस मंदिर के पुजारी हैं किशोरी लाल यादव.

किशोरी लाल बताते हैं, देवी में हमारी आस्था तो पहले से थी, मंदिर बन जाने के बाद से पूजा-पाठ भी नियमित हो गया है. उन्होंने कुतिया देवी की कहानी भी सुनाई. किशोरी लाल के अनुसार कुतिया देवी के बारे में प्रचलित है कि वो मऊरानीपुर तहसील के दो गांवों रेवन और ककवारा के बीच रहती थीं. एक दिन दोनों गांवों में भोज का आयोजन हुआ. कुतिया देवी भागती हुई पहले रेवन पहुंचीं लेकिन वहां खाना बनने में वक्त था तो वो भागती हुई ककवारा पहुंचीं. लेकिन यहां भी भोजन तैयार नहीं था.

इसके बाद कुतिया देवी ने दोनों गांवों के बीच में ठहरना तय किया. उन्होंने सोचा जिस गांव में पहले भोजन तैयार है यह संकेत करने वाली तुरही बजेगी वह वहां जाएंगी. लेकिन दोनों ही गांवों में खाने की तुरही एक साथ ही बजा और कुतिया देवी की मौके पर ही मौत हो गई. जहां कुतिया देवी की मौत हुई उस स्थल पर उनकी समाधी बनाई गई. अब वहां कुतिया देवी का मंदिर है जहां नियम से पूजा-पाठ होती है. वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञान चतुर्वेदी कई बार अपने किस्सों में कुतिया देवी का जिक्र कर चुके हैं.



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