सांसों से स्प्रे की तरह फैल रहा कोरोना:17 भारतीय वैज्ञानिकों के रिसर्च में दावा- संक्रमित के सांस छोड़ने पर वायरस के कण हवा में कई गुना देर तक रह रहे


कोरोना फैलने की वजहों पर दुनियाभर में रिसर्च हो रही है। 15 महीने के कोरोनाकाल में रिसर्च के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि वायरस गर्मी में बहुत तेजी से फैल रहा है। इससे पहले माना जा रहा था कि वायरस सर्दियों में ज्यादा असर दिखाएगा। भारत सरकार के 17 वैज्ञानिकों के रिसर्च में सामने आया है कि गर्मी के कारण वायरस के फैलाव की क्षमता बढ़ जाती है।

सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिकुलर बॉयोलॉजी (CCMB) हैदराबाद के डायरेक्टर डॉ. राकेश के. मिश्रा बताते हैं कि गर्मी के मौसम में सांस तेजी से भाप बन जाती है। ऐसे में जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस छोड़ता है तो वायरस छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाता है। वायरस के अतिसूक्ष्म कण सांस के साथ स्प्रे की तरह तेजी से बाहर आते हैं। फिर देर तक हवा में रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति बिना मास्क उस जगह पहुंचता है तो उसके संक्रमित होने की आशंका होती है। हालांकि, खुले वातावरण में संक्रमण का खतरा कम है, लेकिन अगर किसी हॉल, कमरे, लिफ्ट आदि में कोई संक्रमित व्यक्ति छींक भी ले, तो वहां मौजूद लोगों को संक्रमित होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

हवा में वायरस के असर को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने हैदराबाद और माेहाली में 64 जगहों पर सैंपल लिए। इसमें अस्पतालों के ICU, सामान्य वार्ड, स्टाफ रूम, गैलरी, मरीज के घर के बंद और खुले कमरे, बिना वेंटिलेशन और वेंटिलेशन वाले घर शामिल हैं।आप बेशक सोशल डिस्टेंसिंग रखें, लेकिन अगर दफ्तर हवादार नहीं है, तो संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा रहेगा। क्योंकि, बंद जगहों पर वायरस ज्यादा देर तक रहता है। सांस के जरिए वह लोगों के शरीर में चला जाता है।

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