जया एकादशी दिलाती है पिशाच योनि से मुक्ति, इस दिन ना करें ये काम


नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के मुताबिक माघ मास के शुक्‍ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी को मनोकामना पूर्ति के लिहाज से बेहद खास माना जाता है। हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से व्‍यक्ति बुरी योनि यानी भूति पिशाच की योनि में जन्‍म नहीं लेता है। इतना ही इस व्रत के प्रताप से व्‍यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। घर में हर प्रकार की सुख शांति स्‍थापित होती है। मान्‍यता के अनुसार दुख, दरिद्रता और कष्‍टों को दूर करने के लिए जया एकादशी का व्रत करना सर्वोत्तम साधन है।

जया एकादशी व्रत के नियम शास्त्रों में बताया गया है कि जया एकादशी के दिन पवित्र मन से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। मन में द्वेष, छल-कपट, काम और वासना की भावना नहीं लानी चाहिए। नारायण स्तोत्र एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इस प्रकार से जया एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती। जो लोग इस एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं वह भी आज के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें और जरुरतमंदों की सहायता करें तो इससे भी पुण्य की प्राप्ति होती है।

जया एकादशी पर भूलकर न करें ये काम...... 

— इस दिन व्रती को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किसी भी व्यक्ति से बात करने के लिए कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए। 

— एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए। 

— पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति के वंश का नाश होता है। 

— पुत्रदा एकादशी व्रत में रात को सोना नहीं चाहिए। व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भाक्ति,मंत्र जप और जागरण करना चाहिए। 

— एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चोरी करने से 7 पीढ़ियों को उसका पापा लगता है। 

— एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत के दौरान खान-पान और अपने व्यवहार में संयम के साथ सात्विकता भी बरतनी चाहिए।



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