इस बार घट जाएंगी 880 ग्राम पंचायतें, चुने जाएंगे 58194 ग्राम प्रधान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) में इस बार 880 ग्राम पंचायतें कम हो जाएंगी। चुनाव कराने में हो रही देरी का कारण देते हुए प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी थी। इसका मुख्य कारण नया परिसीमन होना बताया गया है। चार फरवरी को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 30 अप्रैल तक ग्राम पंचायतों का चुनाव कराने की बात कही थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने पंचायत चुनाव कराने में हो रही देरी की वजह देकर कोर्ट को बताया कि प्रदेश में शहरीकरण के कारण तमाम ग्राम पंचायतें शहरी सीमा में शामिल कर ली गईं हैं। इसकी वजह से ग्राम पंचायतों का नए सिरे से परिसीमन करना पड़ा। नए परिसीमन के कारण जहां 2016 में 59074 ग्राम प्रधानों का चुनाव हुआ था वहीं इस बार 58194 ग्राम प्रधान ही चुने जाएंगे।

डोर टू डोर सर्वे पर जोर

पिछड़ी जातियों का निर्धारण व प्रकाशन नियमावली 1994 में 2015 में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के अनुरूप पिछड़ी जातियों का नए सिरे से निर्धारण करने के लिए डोर टू डोर सर्वे कराने पर जोर दिया गया है। इसके बाद पंचायतों के आरक्षण का काम शुरू होगा। आरक्षण का कार्य 17 मार्च तक पूरा करने की उम्मीद जताई गई है। कोर्ट ने 30 अप्रैल तक प्रत्यक्ष चुनाव और 15 मई तक अप्रत्यक्ष चुनावों की प्रक्रिया पूरी कर लेने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पंचायतों के आरक्षण का काम 17 मार्च तक हर हाल में पूरा कर लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि इसके अतिरिक्त चुनाव कराने के लिए और समय नहीं दिया जाएगा क्योंकि पहले ही सरकार और आयोग को पर्याप्त समय दिया जा चुका है।




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