नए कोरोना वायरस से कैसे करें बचाव? चार देशों के डॉक्टरों ने बताए उपाय

कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खतरनाक होने के बारे में इंग्लैंड के डॉक्टर विक्रम ने कहा कि इस वायरस के जो लक्षण हैं वो ज्यादा खतरनाक नहीं पाए गए हैं. लक्षण वही रहेंगे. इसमें जो स्ट्रेन पाए गए हैं वो पहले वाले स्ट्रेन जैसे ही हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से मरने की संभावना ज्यादा नहीं होगी.

ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने दुनिया में टेंशन बढ़ा दी है. नया कोरोना स्ट्रेन कितना खतरनाक है और इसके लक्षणों में क्या फर्क होता है इसको लेकर हर कोई चिंतित है. आजतक के साथ दुनिया के 4 देशों के डॉक्टरों ने वायरस को लेकर बने डर के बीच कहा कि नए स्ट्रेन से डरना नहीं चाहिए, घबराना नहीं करना चाहिए. हालांकि उनका कहना है कि वायरस से बचाव को लेकर जो गाइडलाइंस हैं उनका और सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.

आजतक के साथ खास बातचीत में लंदन के एसोसिएट स्पेशलिस्ट डॉक्टर विक्रम तलाउलिकर ने कहा कि इस नए स्ट्रेन से डरना नहीं चाहिए, पैनिक नहीं करना चाहिए. इसे पहले सितंबर में देखा गया और दिसंबर में ज्यादा से ज्यादा इंफेक्शन फैल रहा है. यह 70 फीसदी ज्यादा ट्रांसमिट करता है.

नए स्ट्रेन के खतरनाक होने के बारे में डॉक्टर विक्रम ने कहा कि इस वायरस के जो लक्षण हैं वो ज्यादा खतरनाक नहीं पाए गए हैं. लक्षण वही रहेंगे. इसमें जो स्ट्रेन पाए गए हैं वो पहले वाले स्ट्रेन जैसे ही हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से मरने की संभावना ज्यादा नहीं है. यह ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होगी. हालांकि ट्रांसमिशन ज्यादा होगा. स्वास्थ्यकर्मियों पर लोड बढ़ेगा. सावधानी और टेस्टिंग बढ़ानी होगी. यह ज्यादा खतरनाक वायरस नहीं है. डॉक्टर विक्रम ने कहा कि इंग्लैंड की स्थिति अभी कंट्रोल में है.

क्या इस नए वायरस में लक्षण कुछ अलग होंगे, अमेरिका के सेंट ज्यूड्स हॉस्पिटल के डॉक्टर असीम अंसारी ने कहा कि ऐसा नहीं लगता है कि इसके लक्षण कुछ अलग होंगे या ज्यादा बुरे होंगे लेकिन नए तरीके से जो वायरस आया है वो आसानी से संक्रमित करता है.

उन्होंने कहा कि वायरस को लेकर अभी जो दवाइयां और वैक्सीन बनाए जा रहे हैं वो भेष बदलकर आए इस नए स्ट्रेन पर भी कारगर होंगे. जहां तक लक्षण की बात है कि इसमें भी बदलाव नहीं होने वाला. डॉक्टर अंसारी ने कहा कि बीमारी बुरी नहीं होगी लेकिन आसानी से लोगों में फैलेगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बीमारी अगर बढ़ती है तो मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. ऐसे में लोगों को गंभीरता के साथ मास्क लगाना और कोरोना निर्देशों का सख्ती के साथ पालन करना चाहिए.

क्या बच्चों पर खतरा बढ़ गया?

क्या बच्चों पर इसका खतरा बढ़ गया है, इस संबंध में डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा कि इसका अंदाजा यह है कि यह बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है. लेकिन अब तक जो डेटा आया है उसके अंदर निश्चित तौर नहीं बताया गया है कि कितने लोग भर्ती किए गए हैं. कितने बच्चे एडमिट किए गए हैं. इस संबंध में अभी कोई आंकड़े नहीं आए हैं.

इसके खतरनाक होने के बारे में उन्होंने कहा कि यह इसलिए खतरनाक हो गया क्योंकि इसके पहले म्यूटेशन में दुनिया में बहुत सारे लोग तकलीफ में आ गए. जैसे अगर किसी कमरे में कुछ लोग जो सावधानी बरत रहे थे, मास्क लगा रहे थे, हाथ धो रहे थे अब उनमें भी खतरा बढ़ जाएगा. इनकी सावधानियों में कुछ खामियां थीं जिसकी वजह से यह बीमारी फैली. अब हमें डबल सेफ्टी करनी पड़ेगी. इसका मतलब यह हुआ कि अब हमें कोई लिबर्टी नहीं लेनी होगी.

मेदांता के एमडी डॉक्टर त्रेहान ने कहा कि पहले मास्क नहीं पहनने और लोगों से मिलने पर भी वायरस से बच जाते थे, लेकिन अब यह खतरनाक हो गया है. क्योंकि यह वायरस आसानी से फैल सकता है और हमारे अंदर प्रवेश कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस वायरस को और भी तीखी नजर से देखना चाहिए. अब यह वायरस हिंदुस्तान में भी आ गया है लेकिन हमें चौकन्ना रहना होगा.

जिन्हें पहले कोरोना हो गया उनके लिए कितना खतरनाक

जिसे कोरोना पहले हो चुका है, उसको इस नए स्ट्रेन से कितना खतरा होगा और क्या-क्या एहतियात बरतना होगा, इस पर सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर शेखर मांडे ने कहा कि शायद ऐसी संभावना नहीं है क्योंकि अब तक जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उनमें बेहद कम लोग ही फिर से संक्रमित हुए हैं. फिलहाल के लिए अभी यही मानना पड़ेगा कि फिर से होने की संभावना नहीं है. 

उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में जो नया स्ट्रेन पाया गया है उसमें ट्रांसमिशन की संभावना ज्यादा है. लेकिन इस वायरस से मरने वालों की संभावना के बारे में ज्यादा पता नहीं चला है. 

इंग्लैंड के वारविक हॉस्पिटल के कंसलटेंट डॉक्टर दीपांकर बोस ने कहा कि यह वायरस अतिरिक्त वायरस के रूप में नहीं आया है. यह उसी में शामिल हुआ है. इसलिए सरकारें जो प्रोटेक्शन ले रही थीं वो सही लग रहा था लेकिन पहले लॉकडाउन के बाद जब थोड़ी सी ढील दी गई तो केस बढ़ने लगे. ऐसे में यह देखना होगा कि इसकी हिस्ट्री कहां से आ रही है. उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में सैंपल्स में से 20 से 30 फीसदी का फिर से टेस्ट किया जाता है. पता नहीं यह केस कहां से आया. हो सकता है कि किसी और देश से यह आया हो. लेकिन इसका पता इंग्लैंड में ही चला.

नीदरलैड के डॉक्टर अशोक महालका ने कहा कि यूरोप में पहले लॉकडाउन के बाद काफी ढील दी गई. फ्रांस, नीदरैलंड और डेनमार्क समेत कई देश इसमें शामिल हैं. जहां तक न्यू स्ट्रेन को लेकर नीदरलैंड की बात है कि यहां पर सितंबर में 1 मरीज देखा गया, डेनमार्क में 2 लोग इसकी चपेट में आए. उन्होंने कहा कि अभी तक यह नहीं पता कि अगर यह स्ट्रेन बढ़ रहा है तो कितना खतरनाक होगा.

साभार- आजतक



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