'पं दीन दयाल उपाध्याय के सपनों का भारत' नामक गोष्ठी का आयोजन


बलिया । पं दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ, जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के तत्वाधान में,  'पं दीन दयाल उपाध्याय के सपनों का भारत' विषय पर एक संगोष्ठी जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय स्थित हजारी प्रसाद  अकादमी भवन पर आयोजित की गई। मुख्य अतिथि एवं वक्ता गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, विलासपुर, छतीसगढ़  के कुलाधिपति व नेशनल रिसर्च प्रोफेसर, (मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली), प्रो. अशोक गजानन मोदक जी, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक श्री अजय उपाध्याय व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. योगेंद्र सिंह द्वारा मां सरस्वती, भारत माता व पं दीन दयाल उपाध्याय के चित्र के समक्ष  दीप प्रज्ज्वलन के साथ, सरस्वती वंदना, राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम' व स्वागत गीत के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संचालन डॉ रामकृष्ण उपाधयाय ने किया। बतौर मुख्य अतिथि प्रो.अशोक गजानन मोदक ने पं दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद व उनके सपनों का भारत पर विस्तार से चर्चा किया। 


प्रो. गजानन मोदक ने कहा कि गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है तथा रात्रि के समय जब चन्द्रमा का जागरण होता है तब जो दिनभर की सूर्य की तपिश होती है उसका हरण होता है। पं दीनदयाल जी ने जिस सपनों के भारत का चिंतन किया है उसका हमें भी गहरायी से चिंतन करना चाहिए। पं दीन दयाल जी ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते थे जो भूतकाल के भारत से अधिक उन्नत हो। पं जी ने चिंतन किया कि प्रत्येक नर नारायण बनें, अर्थात आर्थिक चिंतन किया। पं दीन दयाल जी ने कहा था कि व्यक्ति केवल अपने में ही सीमित न रहकर विश्व से भी परिचित हो। उन्होंने आगे बताया कि पं दीन दयाल जी का हम सबके ऊपर गहरा ऋण है। उन्होंने समाज को एक नई राह दिखाई जिस पर चलकर व्यक्ति नर से नारायण हो सकता है।


Post a Comment

0 Comments