21 नवम्बर तक मनाया जाएगा नवजात शिशु देखभाल सप्ताह
बलिया। नवजात बच्चे को असमय मौत से बचाने के लिए सरकार द्वारा हर संभव कोशिश किया जा रहा है। शिशु मृत्यु दर में गिरावट लाने के लिए ही स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि करने के साथ ही समुदाय में जागरूकता लाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को चलाए जाने की तैयारी है।
कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ के डी प्रसाद ने बताया कि शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए 14 से 21 नवम्बर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयोजन जनपद के समस्त सामुदायिक/ प्राथमिक स्वास्थ्य हेल्थ सेंटरों पर किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक पंकज कुमार की तरफ से जनपद को पत्र भी मिल चुका है। उन्होंने बताया कि पोषण हर व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है। यह सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के लिए जरूरी है। जिन्हें आज के समय में पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। यद्यपि आज के परिवेश में गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सही पोषण नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण उनके जन्म लिए बच्चे भी कम वजन के पैदा हो रहे हैं जिसकी वजह से वह कुपोषण की श्रेणी में आ जा रहे हैं।
अपर शोध अधिकारी रामहित ने बताया कि आज के समय में गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआत से लेकर बच्चे के जन्म के दो वर्ष तक गर्भकाल के 270 दिन और बच्चे के जन्म के 2 वर्ष लगभग 730 दिन तक कुल 1000 दिन तक मां और बच्चों को सही पोषण मिलना चाहिए। जिसके वजह से बच्चों का शारीरिक विकास व मानसिक विकास के साथ ही साथ प्रतिरोधक क्षमता में बृद्धि हो जाती है। जिसके कारण बच्चों में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। जिससे बच्चा स्वस्थ रहता है और अपने जीवन को अच्छे ढंग से व्यतीत करता है।
डीसीपीएम पुष्पेंद्र सिंह शाक्य ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम का एक मुख्य उद्देश्य आम व्यक्ति तक यह संदेश पहुंचाना होता है कि नवजात बच्चे को 6 महीने तक केवल मां का ही दूध देना चाहिए। 6 माह के बाद बच्चे को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ऊपरी आहार देना शुरू कर देना चाहिए और बच्चे को सही समय-समय पर आवश्यक टीकाकरण एएनएम के द्वारा ही करवाना चाहिए। किसी और के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। कंगारू मदर केयर और स्तनपान को बढ़ावा देकर नवजात बच्चे को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सकता है।
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