वो नाखून चबाती है मैं पान खाता हूं
करे वो खर्च यूं जैसे मैं दान खाता हूं
बलिया। 1 अप्रैल को अप्रैल फूल अर्थात मूर्ख दिवस पर एक दूसरे को मूर्ख बनाकर हंसी-ठिठौली और हास-परिहास कर तनाव से परे भरपूर मनोरंजन करने की परंपरा जनपद के कवियों व साहित्यकारों द्वारा खास हो जाता है। इसी संदर्भ में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा व साहित्य चेतना समाज के संयुक्त तत्वावधान में शहर के रामपुर-उदयभान स्थित डॉ. रामविचार रामरति बालिका इंटर कॉलेज में इसका आयोजन हुआ।
अपने विशिष्ट शैली के लिए मशहूर वरिष्ठ कवि व मुख्य अतिथि विजय मिश्र को महामूर्खाधिराज का ताज पहनाया गया। उन्होंने मूर्ख दिवस को सार्थक करते हुए जो अनुचित ठाट बनाता है/मूर्ख वही कहलाता है, सुना कर लोगों को लोटपोट कर दिया। डॉ. शशी प्रेमदेव ने हमारे देश में मूर्ख दिवस तब मनाया जाता है जब जाति-मजहब के नाम पर वोट देकर मतदाताओं का झुंड पांच साल आंसू बहाता है, सुना कर कारारा व्यंग्य किया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. नवचन्द्र तिवारी द्वारा वह नाखून चबाती है, मैं पान खाता हूं/करे वो खर्च यूं जैसे मैं दान खाता हूं, सुनाने पर ठहाकों का दौर चल पड़ा। डॉ कादंबनी सिंह ने हमें इस बात का भी गम नहीं है/हमारे जख्म का मरहम नहीं है सुना कर दुख-दर्द भूल जाने की नसीहत दी। विंध्याचल सिंह ने गंवई दृश्य को उकेरते हुए निर्गुण सुनाया तो रामेश्वर सिंह ने क्षणिकाओ से वाहवाही लूटी।
प्रधानाचार्या उमा सिंह ने भक्ति गीत गाकर रस परिवर्तन किया तो डॉ. फतेहचंद बेचैन ने नववर्ष पर काव्य के जरिए सुखद साल का आह्वान किया। पं. राजकुमार मिश्र, अरविंद उपाध्याय व मुकेश चंचल ने लयबद्ध रचना सुनाकर भाव- विभोर करते हुए तालियां बटोरीं। अध्यक्षता विशिष्ट अतिथि विजय मिश्र ने की। संचालन डॉ. नवचंद्र तिवारी ने किया व आभार डॉ. कादंबिनी सिंह ने व्यक्त किया।
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