शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। आज 21 अक्टूबर 2023 को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आपको बता दें, नवरात्रि का सातवां दिन, यानी की मां कालरात्रि को समर्पित। नवरात्रि के सातवें दिन की स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है, तेज बढ़ता है।
देवी कालरात्रि का महत्व : माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।
देवी कालरात्रि का स्वरूप : माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। कहा जाता है कि शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज का वध करने के लिए मां दुर्गा को कालरात्रि का रूप धारण करना पड़ा था। देवी कालरात्रि का शरीर अंधकार के समान काला है। उनकी सांसों से आग निकलती है। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं। गले में माला बिजली की तरह चमकती रहती है। मां के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग अर्थात तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है।
देवी कालरात्रि की पूजा विधि : सप्तमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए। शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन सफेद या लाल वस्त्र पहनकर मां कालरात्रि की पूजा करें। मां कालरात्रि के सामने घी दीपक जलाकर उन्हें लाल फूल अर्पित करें। इसके साथ ही माता को गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें और संभव हो तो दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करें।
इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है। मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें। साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
कालरात्रि मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान कर।
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः ।
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