बलिया : महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित कवि गोष्ठी समाचार

 


*मौसम चुनावी है, नेता पर हावी है*

*जनसेवा जिसमें वो, प्रत्याशी हावी है*

बलिया। विकास संस्कृति साहित्य अकादमी व साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में आनंद नगर स्थित कार्यालय में महाराणा प्रताप की 483 जयंती पर कवि गोष्ठी आयोजित कर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।

कवि श्री राम प्रसाद सरगम के वाणी  वंदना से कार्यक्रम का आगाज हुआ। तत्पश्चात उन्होंने 'जिनके खूं में जला है चिराग ए वतन। उनके तुरबत पर कोई दिया न जले' सुना कर गोष्ठी को रफ्तार देकर वाह वाही लूटी। अध्यक्षता करते हुए टीडी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ संतोष प्रसाद ने कहा कि मेवाड़ राजवंश के महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष करना स्वीकार किया परंतु अधीनता नहीं। यदि वे न होते तो शायद यह देश इस्लामिक हो गया रहता। डॉ कादंबिनी सिंह ने वीर रस की कविता 'प्रचंड शौर्य यहां उदात्त राष्ट्र भावना। प्रखर स्वतंत्रता के स्वर मुखर की युद्ध चेतना' सुनाकर लोगों में उत्साह भर तालियां बटोरी। 

साहित्य चेतना समाज  के जिला सचिव डॉ नवचंद्र तिवारी ने महाराणा प्रताप की वीरता का गुणगान कर चुनावी माहौल में गुदगुदाते हुए 'मौसम चुनावी है, नेता पर हावी है। जनसेवा जिसमें वो प्रत्याशी हावी है' गाकर ऐसा समा बांधा कि करतल ध्वनियों संग लोग झूमने लगे। विकास संस्कृति साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ0 फतेहचंद बेचैन ने अपने चिर - परिचित अंदाज में 'हमके शांति सुकून औरी अमन दे दिहा। एकरा चिंता नइखे हम रही, ना रहीं हमरा तिरंगा कफ़न दे दिहा' सुनाकर देश प्रेम का जज्बा दिखाया तो  भावनाओं की सरिता में लोग गोते लगाने लगे। टीडी कॉलेज के संगीत प्रवक्ता व गीतकार डॉ अरविंद उपाध्याय ने 'नीक लागेला निमिया के छांव महल बा' की लयबद्ध स्वर से गर्मी में सुकून दिलाकर रसमई प्रस्तुति दी। डॉ आदित्य कुमार अंशु महाराणा प्रताप को अप्रीतम योद्धा बताया। कहा कि उनसे सीख लेने की जरूरत है। युवा कवि श्वेतांक सिंह ने भी अपनी वीर रस की कविता प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में गोवर्धन भोजपुरी, सूरज समदर्शी, रामाशंकर वर्मा मनहर, डॉ जीतेंद्र त्यागी, डॉ जितेंद्र स्वाध्यायी, कृष्णा यादव, विनय कुमार, विवेक गुप्ता आदि रहे। संचालन डॉ नवचंद्र तिवारी ने किया। आभार डॉ फतेहचंद बेचैन  ने व्यक्त किया।




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