-रंगमंच की सीमाएं व संभावनाएं' पर भोजपुरी अध्ययन केंद्र, बीएचयू में हुई परिचर्चा
वाराणसी/बलिया। भोजपुरी अध्ययन केंद्र के राहुल सभागार में 'भोजपुरी रंगमंच की सम्भावनाएँ एवं सीमाएँ' विषय पर भोजपुरी रंगमंच के सुपरिचित रंगकर्मी व बीएचयू के पूर्व छात्र आशीष त्रिवेदी के एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया। अध्यक्षता केंद्र समन्वयक प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने की। आरम्भ में आशीष त्रिवेदी को केंद्र समन्वयक द्वारा अंगवस्त्रम ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये युवा रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने अपने रंगमंच से जुड़ने की पूरी संघर्ष यात्रा को बताते हुए कहा कि भोजपुरी जनपद में रंगमंच की कमी ने उन्हें रंगमंच से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। आशीष त्रिवेदी ने कहा कि भोजपुरी रंगमंच की व्यवस्थित शुरुआत भिखारी ठाकुर से होती है। उससे पहले भोजपुरी क्षेत्र में नाच की प्रथा थी जिसमें अभिनय के तत्व थे तथा उसी से भोजपुरी रंगमंच का विकास भिखारी ठाकुर के माध्यम से हुआ। भिखारी ठाकुर और रंगमंच के प्रासंगिकता की चर्चा करते हुए आशीष त्रिवेदी ने कहा कि जब-जब पलायन की चर्चा होगी तब-तब 'विदेशिया' नाटक की प्रासंगिकता बनी रहेगी। भोजपुरी लोकमंच के वर्तमान पर बात करते हुए आशीष त्रिवेदी ने कहा कि वर्तमान में भोजपुरी में लोकमंच का संकट है, यह संकट लोकभाषाओं पर भी विद्यमान है। आशीष त्रिवेदी ने कहा कि हमें ऐसे कलाकारों को मंच तक लाकर उन लोगों को अवसर देना होगा जो कम पढ़े-लिखे या अशिक्षित हैं।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार व केंद्र समन्वयक प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि भोजपुरी रंगमंच का इतिहास ओढ़ी हुई मर्यादाओं के शिथिल होने का इतिहास रहा है। प्रो.शुक्ल ने कहा कि नाटक की परंपरा में लोक वृत्त का वास्तविक अनुकरण भोजपुरी रंगमंच के माध्यम से ही हुआ है। प्रो.शुक्ल ने आगे कहा कि भोजपुरी रंगमंच का विकास रंगमंच के संघर्ष और ओढ़ी हुई मर्यादाओं के शिथिल होने का इतिहास है। भोजपुरी रंगमंच सृजन की प्रस्तुति तथा जड़ता से संघर्ष के बीच प्रस्तुत हुआ है। प्रो.शुक्ल ने कहा कि भोजपुरी रंगमंच के विकास में स्त्रीचेतना के विकास, रंगमंच के प्रति समाज के दृष्टिकोण तथा सामाजिक परिवर्तन के रूप में भोजपुरी रंगमंच का विकास किस प्रकार हो, इसी चिंतन को केंद्र में रखते हुए भिखारी ठाकुर से लेकर वर्तमान में आशीष त्रिवेदी तक कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र अक्षत पाण्डेय ने किया तथा स्वागत वक्तव्य शोध छात्र आलोक गुप्ता ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन शोध छात्र शुभम चतुर्वेदी ने दिया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं की भारी उपस्थिति रही।
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