आन-बान पर मर मिटना, बलिया की ये परिपाटी है : कवि फतेहचंद गुप्ता "बेचैन"


दुबहड़। स्थानीय क्षेत्र के ओझा कछुआ गांव में सोमवार की देर रात प्रगतिशील साहित्यिक मंच के तत्वाधान में कवि सम्मेलन सह बंद मुशायरा का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि एवं प्रधान बलिराम यादव ने फीता काटकर किया। आयोजक जलेश्वर जी ने कवि सम्मेलन में आए हुए कवियों एवं प्रबुद्ध जनों का माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम से सम्मानित किया। कवि सम्मेलन में उत्तर प्रदेश सहित बिहार से आए विभिन्न सभी कलाकारों ने अपने-अपने हास्य-व्यंग्य काव्यों  की प्रस्तुति कर लोगों को देर रात्रि तक खूब आनंदित किया। श्रोता एवं दर्शकगण हास्य-व्यंग्य काव्यों  का भरपूर लुत्फ उठाते हुए हंसते हंसते लोटपोट हो गए। कवि  फतेहचंद गुप्ता बेचैन ने "आन-बान पर मर मिटना, बलिया की ये परिपाटी है। सद्भाव, प्रेम कायम रखना प्रिय भोजन चोखा बाटी है।। एवं घंटे बजे मंदिरों में मस्जिदों में अजान हो, सुबह-शाम-दोपहर भोर और बिहान हो। प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को ताली बजाने पर विवश कर दिया।

कवि नंद जी नवधा ने अपनी प्रस्तुति कोरोना पर लिखी कविता "करोना के दहशत से करोना बा  आइल, आ सटते छुआवे जे जहवें भेटाइल"  से लोगों को हंसते हंसते लोटपोट होने पर मजबूर कर दिया। श्रीराम सरगम, डॉ सुदर्शन प्रसाद राय आदि विभिन्न कवियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियों से खूब वाहवाही बटोरी। 

इस मौके पर मोहन जी दुबे, गुड्डू दुबे, सैंडो दुबे, राजेंद्र गुप्ता, संदीप कुमार गुप्ता, विजेंद्र प्रजापति, सुनील दुबे, गोलू दुबे, अजय पांडेय बबलू, उमेश गुप्ता, बालकृष्ण प्रजापति, अमित कुमार, अनुप, विक्रम कुमार, आदि मौजूद रहे। 

अध्यक्षता संजय यादव, संचालन नंदजी नंदा भोजपुरी भूषण एवं  अंत में सबका आभार प्रकट मुख्य आयोजक जलेश्वर जी ने किया।



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