वाराणसी 09 सितम्बर, 2022; मंडल रेल प्रबंधक श्री रामाश्रय पाण्डेय के निर्देशन में एवं अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं अपर मंडल रेल प्रबंधक (इंफ्रा.) श्री ज्ञानेश त्रिपाठी की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी मंडल के राजभाषा विभाग द्वारा मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के भारतेंदु सभाकक्ष में 09 सितम्बर,2022 को अपराह्न खड़ी बोली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र की जयन्ती का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर हरिप्रसाद अधिकारी द्वारा भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र जी के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया।
जयन्ती समारोह में अपने स्वागत संबोधन में अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी श्री ज्ञानेश त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र के जीवनचरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि काशी की यह धरती साहित्यकारों की कर्मभूमि रही है, हमारा यह सौभाग्य है कि हम काशी जैसी ऐतिहासिक और पावन नगरी में सेवारत है, जहाँ भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र से लेकर जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल तथा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्वानों ने हिंदी भाषा एवं साहित्य को समृद्ध किया। इस नगरी ने कलम के धनी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समय और समाज का सशक्त पथ-प्रदर्शन किया है। भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र जी मध्यकाल के उन्ही मूर्धन्य साहित्यकारों में से एक हैं, जिन्होंने ‘निज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति के मूल,बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय के शूल’ का नारा दिया था।
मुख्य अतिथि प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र विभाग), सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अपने व्याख्यान में भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र के समाज के समग्र द्रष्टा के रूप में उनके योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र ने “हिन्दी,हिन्दू और हिन्दुस्तान” पर जीवन पर्यन्त कार्य किया। उन्होंने हिंदी भाषा की विशेषता बताते हुए कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें अन्य भाषाओं के शब्दों को आत्मसात करने की अद्भुत क्षमता है। भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र ने ही सर्वप्रथम कुरान शरीफ़ का हिन्दी अनुवाद किया जिससे उन्होंने हिन्दी और उर्दू में सामंजस्य स्थापित किया। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने विभिन्न प्रसिद्ध नाटकों की रचना एवं मंचन के माध्यम से हिन्दी को प्रकाशित किया । उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे द्वारा देश के कोने-कोने में हिन्दी का प्रचार प्रसार विभिन्न माध्यमों से किया गया है। उन्होंने बताया जो सर्व साधारण की जुबान पर आसानी से आ सके उसे हिन्दी साहित्य कहते हैं आज भी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा रचित विभिन्न नाटक एवं गीत आम जन में लोकप्रिय हैं जो अब भी आम जन के लोक-कल्याण में सहायक बना हुआ है।
राजभाषा अधिकारी एवं सहायक संरक्षा अधिकारी श्री विजय प्रताप आर्य ने गोष्ठी का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। इस गोष्ठी में मंडल के सभी वरिष्ठ शाखाधिकारी, राजभाषा विभाग के कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में रेल कर्मचारी उपस्थित थे।
*अशोक कुमार*
जनसंपर्क अधिकारी, वाराणसी।
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