चाणक्य नीति : ऐसे लोगों से हमेशा रहें दूर, वरना कर देंगे आपका बड़ा नुकसान


आचार्य चाणक्य कहते हैं कि असली मित्र की पहचान बुरे वक्त में ही होती है. एक सच्चा मित्र मैदान छोड़कर भागने की बजाए हमेशा आपकी ढाल बनकर खड़ा रहता है. चाणक्य के नीति शास्त्र में ऐसे धोखेबाजों को पहचानने के पांच श्रेष्ठ तरीके बताए हैं.

अक्सर धोखेबाज लोगों का चेहरा तब सामने आता है, जब वो हमारी जड़ें खोखली कर चुके होते हैं. ये लोग बुरा वक्त आने पर ही अपना असली रंग दिखाते हैं. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि असली मित्र की पहचान बुरे वक्त में ही होती है. एक सच्चा मित्र मैदान छोड़कर भागने की बजाए हमेशा आपकी ढाल बनकर खड़ा रहता है. चाणक्य के नीति शास्त्र में ऐसे धोखेबाजों को पहचानने के पांच श्रेष्ठ तरीके बताए हैं.

मीठी बातें करने वाला- चाणक्य नीते के अनुसार, अपनी मीठी-मीठी बातों में फंसाने वाले लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए. आपकी हर बात का बेवजह समर्थन करने वाले ये लोग मन ही मन आपको बर्बाद करने का षडयंत्र रचते हैं. इनके मीठे शब्दों का मायाजाल आपको बर्बादी की कगार पर धकेल सकता है. ऐसे लोगों से दूर रहने में ही भलाई है.

गलत फैसलों में प्रोत्साहन- आपकी तरक्की से जलने वाला इंसान हर गलत फैसले में आपका प्रोत्साहन करेगा. ये लोग सामने रहकर हमेशा आपकी पीठ थपथपाएंगे और पीठ पीछे आपका मजाक उड़ाएंगे. ऐसे लोग आपको हमेशा आसान और गलत राह चुनने की सलाह देंगे. इन पर कभी आंख बंद करके भरोसा न करें.

दूसरों की बुराई करने वाला- कुछ लोग हमारे मन में खास जगह पाने के लिए दूसरों की बुराई हमारे सामने करते हैं. उनके ऐसे व्यवहार को गंभीरता से लेने की जरूत है. ध्यान रहे कि जो इंसान आज आपके सामने दूसरों की बुराई कर रहा है, क्या गारंटी है कल वो दूसरों के सामने आपकी बुराई नहीं करेगा. जितना संभव हो ऐसे लोगों से बचें.

मन में कपट रखने वाला- कुछ लोगों के मन की बात पढ़ना बड़ा मुश्किल होता है. ऐसे लोग कभी अपने सीक्रेट किसी के साथ शेयर नहीं करते हैं. इनके मन में आपके प्रति कपट भरा हो सकता है. आपकी बुराई और आपके नुकसान से इन्हें प्रसन्नता मिलती है. ऐसे लोगों के संपर्क में रहना आपके लिए भारी पड़ सकता है.

भेदभाव करने वाला- अगर कोई इंसान आपको भेदभाव करने का पाठ पढ़ा रहा है तो ऐसे लोगों की संगत में रहने से बचना चाहिए. ये लोग अपनी बुद्धि और अनुभवों से आपको दुनिया दिखाने का प्रयास करते हैं. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान की कुल-धर्म और जाति के आधार पर नहीं बल्कि उसके कर्म के आधार पर उसकी पहचान होनी चाहिए.




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