खूबसूरत, सदाबहार और सर्वजीवी संसार बनाने का संकल्प ही भगवान विश्वकर्मा की सच्ची आराधना हैं


हमारी पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक विश्वासों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को इस बसुन्धरा का प्रथम अभियंता माना जाता हैं। भगवान विश्वकर्मा ने अपनी अद्वितीय अभियांत्रिकी प्रतिभा से एक ऐसी खूबसूरत दुनिया बनाई जिसमें छोटे-मोटे कीडे-मकोड़े से लेकर  विशालकाय नीली ह्वेल जैसे स्तनपायी आनंद के साथ जीवन जीते हैं। परन्तु इस बसुन्धरा के सबसे बुद्धिमान और विवेकसम्पन्न मनुष्य ने अपनी दुर्दमनीय लोभ लिप्सा में भगवान विश्वकर्मा की सदाबहार, खूबसूरत और सर्वजीवी सृष्टि को बदरंग, बदसूरत और अल्पजीवी बना दिया। भगवान विश्वकर्मा की सच्ची आराधना तभी सार्थक है जब बसुन्धरा के सबसे प्रज्ञावान प्राणी होने के नाते हम सभी मनुष्य सबके रहने लायक दुनिया के निर्माण और विकास का संकल्प लें। दिन दूना रात चौगुना धन दौलत कमाने की कामना, भूमंडलीकृत होती दुनिया में धनकुबेरों की कतार में कतारबद्ध होने के लिए तथाकथित आधुनिक, सभ्य और तरक्की पसंद इंसानों के बीच बुलेट ट्रेन की रफ्तार से बढती जा रही गलाकाट प्रतियोगिता और प्रतिस्पर्धा के कारण भगवान विश्वकर्मा की सर्वश्रेष्ठ दुनिया में जैव विविधता पर संकट गहराता जा रहा हैं। आज आधुनिकीकरण, शहरीकरण, औद्योगीकरण और अदूरदर्शी तथा अविवेकपूर्ण विकास परियोजनाओं के कारण लगभग बीस प्रतिशत जीव जंतुओं और वनस्पतिओं के लुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। प्राकृतिक संसाधनों के निर्ममतापूर्वक विदोहन के कारण हमारे पर्यावरण में निरंतर जहर  घुलता जा रहा है। सुविधाभोगी अमीरजादों ने अपनी विलासिता के साजो-सामान के भरपूर उपभोग ने में भगवान विश्वकर्मा की खूबसूरत मनमोहक सृष्टि को क्षत-विक्षत और लहू-लुहान कर दिया हैं। सृष्टि और प्रकृति को तहस-नहस करने की प्रवृत्ति का पूर्णतः परित्याग कर सृष्टि और प्रकृति के साथ सहकार समन्वय सहयोग साहचर्य की दृष्टि को अंगीकार करना ही भगवान विश्वकर्मा की वास्तविक अर्चना हैं। प्राकृतिक विविधता और विशिष्टता ही वास्तव में सृष्टि का श्रृंगार हैं। सच्चे मन से प्राकृतिक परिवेश को सुन्दर और मनमोहक बनाने का प्रयास ही भगवान विश्वकर्मा की असली प्रार्थना है। आज दुनिया के उन महान मूर्तिकारों को स्मरण करने का दिन है जिन्होंने कठोर से कठोर पत्थरों में अपनी जादूगरी से देवत्व स्थापित करने का अद्भुत करिश्मा किया। आज  वास्तुशिल्पियों और हस्तशिल्पियो को ससम्मान स्मरण करने की आवश्यकता है जिन्होंने अपने हाथों के हुनर से अजंता एलोरा और भीमबेटका जैसी इतिहास प्रसिद्ध गुफाओं से लेकर ताजमहल और हवा महल जैसी खूबसूरत इमारतों की रचना की। 

आज भगवान विश्वकर्मा की अर्चना करते हुए तकनीकी, प्रौद्योगिकी और अभियांत्रिकी के क्षेत्र में साधनारत उन प्रतिभाशाली और परिश्रमी लोगों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने की आवश्यकता है जो अपनी तकनीकी, प्रौद्योगिकी और अभियांत्रिकी दक्षता से आधुनिक भारत के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आज सृजन, रचना और निर्माण में विश्वास करने वाले हृदयो के हर्ष का पर्व है। वह सभी चित्रकार आज श्रद्धा पूर्वक स्मरण के पात्र हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय चित्रकारी से मानव जीवन के विविध रंगों को कैनवस पर उतारने का ईमानदार प्रयास किया। जन-जन में सृजन रचना और निर्माण की संचेतना जाग्रत करने की संकल्पना के साथ विश्वकर्मा पूजा की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। 



मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता

 बापू स्मारक इंटर काॅलेज दरगाह मऊ।



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