चाणक्य नीति : ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति खुद बर्बाद कर लेते हैं अपना जीवन


चाणक्य जी का मानना है कि आलसी व्यक्ति को अपने काम की कोई चिंता नहीं होती और वह हर काम को कल पर टाल देता है। उसे सिर्फ आराम करने से मतलब होता है।

आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों को लेकर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर ना सिर्फ नंद वंश का नाश किया बल्कि चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाने में भी अहम भूमिका निभाई। चाणक्य जी ने हर परिस्थिति में चंद्रगुप्त मौर्य का मार्गदर्शन किया। आचार्य चाणक्य को राजनीति के साथ-साथ अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र और कूटनीति समेत समाज के लगभग हर विषयों की गहराई से समझ थी। चाणक्य जी ने एक नीति शास्त्र की रचना भी की है, जिसमें उन्होंने लोगों को सुखी जीवन जीने के लिए कुछ नीतियां सुझाई हैं।

माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति आचार्य चाणक्य की बातों का अनुसरण कर ले, तो वह जिंदगी में कभी असफल नहीं होता। अपने नीति शास्त्र में चाणक्य जी ने कुछ ऐसे लोगों को जिक्र किया है, जो अपने हाथों से अपने भविष्य को बर्बाद कर देते हैं।

‘आलसी का वर्तमान और भविष्य नहीं होता।’ 

अपने इस कथने में आचार्य चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति आलसी है, ना तो उसका कोई वर्तमान होता है और ना ही भविष्य। जब तक व्यक्ति आलस का त्याग नहीं करेगा, तब तक वह अपने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता।

चाणक्य जी का मानना है कि आलसी व्यक्ति को अपने काम की कोई चिंता नहीं होती और वह हर काम को कल पर टाल देता है। उसे सिर्फ आराम करने से मतलब होता है। ऐसा व्यक्ति दिनभर केवल आलस में ही चूर होता है और उसे कोई काम करना पसंद नही होता। इसलिए आलस्य ना सिर्फ वर्तमान को खराब कर देता है बल्कि यह भविष्य के लिए भी संकट से कम नहीं है। इसलिए आलस्य का त्याग करके ही भविष्य को संवारा जा सकता है।

लालची : चाणक्य जी मानते हैं कि जो व्यक्ति लालची है, वह अपने लालच में आकर अपना भविष्य खराब कर देता है। क्योंकि लालची व्यक्ति का धन को देखकर विश्वास डगमगा जाता है। उसमें अच्छे-बुरे की समझ खत्म हो जाती है। इसलिए ऐसा व्यक्ति कभी-कभी अधिक धन कमाने के लिए गलत मार्ग को भी अपना लेता है। इसलिए चाणक्य जी मानते हैं कि लालची व्यक्ति अपने हाथों से अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं।



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