जानें हवन के दौरान बार-बार क्यों कहा जाता है स्वाहा? क्या आपको पता है वजह


पूजा-पाठ के दौरान हवन भी किया जाता है. इस दौरान हवनकुंड में जब भी सामग्री अर्पित की जाती है तो लोगों के मुंह से आपने स्वाहा सुना होगा. लेकिन क्या आपको इस स्वाहा का मतलब पता है?

हमारी जिंदगी में ऐसी कई चीजें हम देखते हैं या करते हैं, जिसका कारण हमें नहीं पता. सभी ऐसा करते हैं, इसी वजह से हम भी उस काम को वैसा ही कर तो देते हैं. लेकिन जान नहीं पाते कि आखिर इसकी वजह क्या है. पूजा और हवन भारत में काफी महत्व रखता है. हिंदू धर्म में लोग अलग-अलग ऑकेजन पर पूजा-हवन करते हैं. जब कभी हवन करवाया जाता है तो अग्निकुंड में पंडित जी भगवान को अर्घ्य देते हुए स्वाहा बोलते हैं. हम भी उनके पीछे ऐसा ही करते हैं.

पूजा-पाठ में हवन करवाने से इंसान का मन और भगवान प्रसन्न हो जाते हैं, इस दौरान जब भी अग्निकुंड में घी या धूप डाला जाता है, तो लोग स्वाहा बोलते हैं. चाहे रियल लाइफ हो, या फिल्में, ऐसा होता ही है. लोग इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्वाहा बोलते जाते है लेकिन कई लोगों को इसकी वजह नहीं पता है. अग्निकुंड में घी डालते हुए स्वाहा यूं ही नहीं कहा जाता है. इसका एक ख़ास मतलब है और इसकी एक ख़ास वजह है. अगर आपको भी इसकी वजह नहीं पता है, तो आज हम इसकी जानकारी आपको देने जा रहे हैं.

ये है स्वाहा का मतलब : 

पुराणों के मुताबिक़, जब तक भगवान आपका दिया प्रसाद ग्रहण नहीं करते, तब तक कोई भी पूजा सफल नहीं मानी जाती. हवन के दौरा जब अग्निकुंड में घी डाला जाता है तो इसके साथ ही इंसान अपनी विश भी भगवान तक पहुंचाता है. स्वाहा अग्निदेव की पत्नी का नाम है. वो प्रजापति दक्ष की बेटी भी हैं और उनका विवाह अग्निदेव से हुआ है. इन्हीं के माध्यम से लोग स्वाहा बोलकर अपनी मुराद अग्निदेव तक पहुंचाते हैं.



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