बलिया। बाल श्रम उन्मूलन जनपद समिति एवं जिला टास्क फोर्स की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में बाल श्रम उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। जिला श्रम अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में जनगणना 2001 के अनुसार कामकाजी बच्चों की संख्या 19.27 लाख थी। जो 2011 की जनगणना में 21.27 हो गई जो देश में सर्वाधिकहै। जनगणना 2011 से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के उपरांत जिन जिलों के ग्रामों/वार्डो में 25 से अधिक कामकाजी बच्चे पाए गए उन हॉटस्पॉट को प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही करने हेतु चयनित किया गया। बाल श्रम से सर्वाधिक प्रभावित 20 जिलों के चिन्हित ग्रामों (हॉटस्पॉट) को बाल श्रम मुक्त किए जाने हेतु एक कार्य योजना इस वर्ष तैयार की गई है। इस कार्य योजना के अंतर्गत संचालित कार्यक्रमों को नया सवेरा योजना नाम दिया गया है। जिनका उद्देश्य वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार चिन्हित ग्रामों/वार्डो को बाल श्रम मुक्त घोषित करना एवं कामकाजी बच्चों का शैक्षणिक एवं बौद्धिक विकास कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है।
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि बाल श्रम अधिनियम 1986 के अनुसार किसी भी बच्चे को श्रम साध्य कार्यों में नियोजित नहीं किया जाएगा। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा कई कानून बनाए गए हैं इनका पालन करा कर बच्चों को श्रम साध्य उद्योग धंधे से बचाया जा सकता है तथा बाल श्रम उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर गांव के प्रधान तथा सभासद भी उपस्थित थे। उन्होंने भी अपने विचार मुख्य विकास अधिकारी के समक्ष रखा। सभासदों ने कहा कि घर-घर जाकर अभिभावकों को समझाया जाए कि वह अपने बच्चों को किसी कारखाने या खतरनाक उद्योग धंधों में नियोजित ना करें। प्रधानों ने बताया कि नया सवेरा योजना से बाल श्रम पर रोक लगाई जा सकती है। राजमिस्त्री तथा मनरेगा में काम करने वाले अभिभावकों को जागरूक किया जाए कि वे बाल श्रम उन्मूलन में प्रशासन का सहयोग करें।
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि हमें धरातल पर कार्य को पूर्ण करके दिखाना है जिससे बलिया जनपद एक मॉडल जनपद बन सके। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया कि जिन बच्चों को श्रम साध्य उद्योग धंधों से बचाया गया है उन्हें स्कूलों में दाखिला दिया जाए और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत उनकी पढ़ाई लिखाई का पूरा ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि नेहरू युवा केंद्र, एनसीसी, यूनिसेफ को देखना है कि गांव में बच्चे स्कूल जा रहे हैं या नहीं। चाइल्डलाइन हेल्पलाइन नंबर 1098 के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार किया जाए।
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