इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, किस तारीख से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्रि?


चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल शनिवार के दिन से हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित करके जौ बोए जाते हैं. इसके साथ ही पूजा स्थल पर मां नवदुर्गा का आह्वान किया जाता है. मान्यता है कि हर नवरात्रि पर मां नव दुर्गा अलग अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त मां का वाहन अलग होता है. मां के हर वाहन का एक अलग महत्व होता है.

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का खास महत्व है. इन पूरे नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की भव्य तरीके से पूजा की जाती है. ये पूरे नौ दिन मां देवी को समर्पित होते हैं. नवरात्रि का त्योहार साल में 4 बार मनाया जाता है लेकिन इनमें सबसे प्रमुख चैत्र और शारदीय नवरात्रि होते हैं. इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल शनिवार के दिन से शुरू हो रही है जो 11 अप्रैल को समाप्त होगी. नवरात्रि में भक्त व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा से नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करते हैं. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का खास महत्व होता है. इस दिन मां के खास वाहन का भी बहुत महत्व होता है. हर नवरात्रि में मां अपने अलग-अलग वाहन से आगमन करती हैं.

क्या होगी मां की सवारी : नवरात्रि में मां नवदुर्गा का आह्वान किया जाता है. मान्यता है कि हर नवरात्रि पर मां नव दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त मां का वाहन अलग होता है. पुराणों के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है. इस चैत्र नवरात्रि मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी. अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तो मां दुर्गा हाथी पर आती हैं. अगर नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार या शनिवार से होती है तो देवी घोड़े पर आती हैं. वहीं, जब नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार के दिन से शुरु होता है तो मां डोली की सवारी करके आती हैं. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत इस बार शनिवार से हो रही है इसलिए इस बार मां का वाहन घोड़ा है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और इसके बाद हर दिन देवी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. घटस्थापना को कलश स्थापना भी कहा जाता है. इस बार कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल को सुबह 06:10 बजे से 08:29 बजे तक है. कुल अवधि 2 घंटे 18 मिनट की है.

कलश स्थापना नियम : कलश स्थापना के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर की साफ-सफाई कर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं. इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें. एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें. कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें. एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें. इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें. इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें. नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है.

चैत्र नवरात्र 2022 : देवी मां दुर्गा के किस स्वरूप की किस दिन होगी पूजा? ऐसे समझें

2 अप्रैल- शनिवार, घटस्थापना और देवी मां के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा

3 अप्रैल- रविवार, देवी मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा

4 अप्रैल- सोमवार,माता चंद्रघंटा की पूजा

5 अप्रैल- मंगलवार,माता कुष्माण्डा की पूजा

6 अप्रैल- बुधवार,स्कंदमाता की पूजा

7 अप्रैल- गुरुवार,मां कात्यायनी की पूजा

8 अप्रैल- शुक्रवार,मां कालरात्रि की पूजा

9 अप्रैल- शनिवार,महागौरी की पूजा

10 अप्रैल- रविवार,मां सिद्धिदात्री की पूजा

11 अप्रैल- सोमवार, दशमी नवरात्रि पारण








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