मनभावन सुहावन आया बसंत
बाग तडांग घर-ऑगन आया बसंत।
यौवन पर आया खुमार अल्हड़पन,
मादक बयार मौसम हुआ मदमस्त
लेकर उम्मीद, कर नीरसता का अंत,
हर्षित बसुधा व्योम और दिग-दिगंत,
मनभावन सुहावन आया बसंत।
सुमधुर स्वर लय-ताल से गूँजित सारा जग-जहान,
कुंजित कोयल बाग बागीचा शिवाला सीवान।
जड-चेतन तृण-तृण हुआ जीवंत,
मनमोहक मनभावन आया बसंत।
उत्कृष्ट सृजन, अलौकिक श्रृंगार से पुलकित प्रकृति,
अद्भुत उत्कट सौन्दर्य से सृष्टि सुसज्जित सृजित,
मिट गये सब दुख दर्द क्लेश-कंत
मनमोहक मनोरम मधुरिम बंसत,
मनभावन सुहावन आया बसंत। ।
नवल धवल परिवेश से परिष्कृत शैशव जवान,
नवचेतना नवकल्पना से उमंगित नूतन विहान,
छुप गए कलुष के सब विषधर विषदंत
मनभावन सुहावन आया बसंत। ।
ज्ञान प्रज्ञा विवेक का अभिसिंचन हो हर अंतर्मन में,
सत्य अहिंसा करूणा का अभिव्यंजन हो जन-जन में,
वीणा वादिनी की महिमा अविरल अनंत,
प्रार्थना करते सब संत महंत और अरिहंत,
मनभावन सुहावन आया बसंत।
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।
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