चाणक्य नीति के अनुसार कोई भी व्यक्ति इस संसार में दुख और कष्ट की कल्पना नहीं करता है. सभी के मन में सुख की कामना कायम है. सच्चा सुख किसे प्राप्त होता है, जानते हैं.
चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को अवगुणों से मुक्त रहकर गुणों को अपनाना चाहिए. ये जीवन अनमोल है. इस जीवन के मोल को जिसने समझ लिया उसके लिए ये संसार ही उसका घर है. चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति सुख की कामना मन में लिए विचरण कर रहा है. सच्चा सुख क्या है? इस प्रश्न का उत्तर हर किसी को चाहिए.
चाणक्य नीति के अनुसार सुख की कल्पना अनंत है. लेकिन गुणी लोगों के लिए सच्चा दूसरों की तुलना में भिन्न होता है. जीवन में धन की प्राप्ति को सच्चा सुख मान लेना, मात्र भ्रम है. लक्ष्मी जी का स्वभाव चंचल है. ये एक स्थान पर अधिक दिनों तक नहीं रहती हैं. जीवन को सरल तरीके से जीने से बड़ा कोई सुख नहीं है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति यदि अपने मन और इच्छाओं पर नियंत्रण कर ले तो उसके जीवन में सुख ही सुख है. मन चंचल है और इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होती है. मानव स्वभाव है कि एक इच्छा की पूर्ति के बाद मनुष्य दूसरी इच्छा को पूरा करने में जुट जाता है. चाणक्य नीति कहती है कि इस धरती पर वो व्यक्ति सबसे अधिक खुशहाल है जिसके पास ये है-
आज्ञाकारी पत्नी- चाणक्य नीति कहती है कि जिसकी पत्नी आज्ञाकारी है, वो सबसे सुखी है. आज्ञाकारी पत्नी, पति की सफलता में सहायक होती है. योग्य पत्नी सुख-दुख में साथ निभाती है. ऐसे लोगों को कभी कष्ट नहीं उठाना पड़ता है.
योग्य संतान- चाणक्य नीति कहती है कि जिस व्यक्ति की संतान योग्य और आज्ञाकारी है, उसके लिए ये धरती ही स्वर्ग के समान है. योग्य संतान सदैव कुल, राष्ट्र का नाम रोशन करती है. संतान द्वारा पूर्ण सम्मान प्राप्त होता है. योग्य संतान माता-पिता के लिए गर्व से कम नहीं होती है.
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