प्रत्येक मास में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व माना गया है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा में गंगाजल, गाय का दूध और बेलपत्र का प्रयोग करना चाहिए. भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत ही प्रिय है. हिन्दी पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दिन गुरुवार 02 दिसंबर को है. ऐसे में मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष का प्रदोष गुरु प्रदोष व्रत है.
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक मास में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उसके साथ वह दिन जुड़ जाता है. हिन्दी पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दिन गुरुवार 02 दिसंबर को है. ऐसे में मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष का प्रदोष गुरु प्रदोष व्रत है. प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग फल और महत्व होता है. गुरु प्रदोष व्रत करने और उस दिन शिव आराधना करने से व्यक्ति को शत्रु पर विजय प्राप्त हो सकता है. आइए जानते हैं कि दिसंबर 2021 के गुरु प्रदोष व्रत का महत्व क्या है और इसकी पूजा का मुहूर्त क्या है?
गुरु प्रदोष व्रत 2021 तिथि :
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 01 दिसंबर दिन बुधवार को रात 11:35 बजे से हो रहा है. यह तिथि 02 दिसंबर दिन गुरुवार को रात 08:26 बजे तक है. प्रदोष व्रत में हमेशा पूजा के लिए प्रदोष काल मान्य होता है. ऐसे में गुरु प्रदोष व्रत 02 दिसंबर को रखा जाएगा.
गुरु प्रदोष 2021 पूजा मुहूर्त :
जो भी व्यक्ति गुरु प्रदोष व्रत रखना चाहता है, उसे उस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव शंकर की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. गुरु प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 05:24 बजे से रात 08:07 बजे तक है. सूर्यास्त से रात्रि के प्रारंभ के बीच के समय काल को प्रदोष काल माना जाता है।
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व :
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति अपने शत्रुओं से परेशान है. उसे विशेषकर गुरु प्रदोष व्रत करना चाहिए. भगवान शिव की कृपा से उस व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, शत्रुओं का नाश होता है.
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा में आपको गंगाजल, गाय का दूध और बेलपत्र का प्रयोग करना चाहिए. भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत ही प्रिय है. कहा जाता है कि भगवान शिव आसानी से प्रसन्न होने वाले हैं, वे तो सच्चे मन से एक लोटा जल अर्पित करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
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