हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को त्रिपुर सुंदरी जयंती मनाते हैं. इसे त्रिपुर भैरवी जयंती के नाम से जाना जाता है. इस दिन मां त्रिपुर सुंदरी की विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों ही समान रूप से प्राप्त होता है. मां त्रिपुरसुंदरी को 10 महाविद्याओं में से एक माना जाता है. ये माता पार्वती की तांत्रिक स्वरूप हैं. मां त्रिपुर सुंदरी को महात्रिपुरसुंदरी, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलेश्वरी, ललितागौरी और राजराजेश्वरी भी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि मां त्रिपुर सुंदरी का प्रकाट्य कैसे हुआ? इनकी पूजा का समय क्या है और क्या लाभ होता है.
त्रिपुर सुंदरी जयंती 2021 : पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तिथि 18 दिसंबर को सुबह 07:24 बजे से प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 19 दिसंबर को सुबह 10:05 बजे होगा. पूजा पाठ के लिए उदयातिथि मान्य है, इसलिए त्रिपुर सुंदरी जयंती 19 दिसंबर दिन रविवार को मनाई जाएगी.
शुभ योग में त्रिपुर सुंदरी जयंती : 19 दिसंबर को शुभ योग सुबह 10:10 बजे तक है. ऐसे में त्रिपुर सुंदरी जयंती शुभ योग में है. सुबह 10:10 बजे के बाद शुक्ल योग लग जाएगा.
निशिता पूजा मुहूर्त : त्रिपुर सुंदरी माता पार्वती की तांत्रिक स्वरूप हैं, तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए निशिता पूजा मुहूर्त होता है. इस दिन निशिता पूजा मुहूर्त रात 12:11 बजे से देर रात 01:04 बजे तक है. इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:15 बजे से दोपहर 12:58 तक है. इस समय में सामान्य पूजा कर सकते हैं.
त्रिपुर सुंदरी पूजा का महत्व : मां त्रिपुर सुंदरी सभी प्रकार के सुख और भोग को देने वाली हैं. वे समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं. यह देवी मोक्ष भी प्रदान करती हैं. मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने शिव जी से मोक्ष और गर्भवास तथा मृत्यु के असहनीय दर्द से मनुष्य के मुक्ति के लिए उपाय पूछा, तब भगवान शिव ने 10 महाविद्याओं में त्रिपुर सुंदरी को प्रकट किया.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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