पग-पग प्रकाश जग में उजियारा भर जाएँ ,
बसुन्धरा से अम्बर तक हर अंधियारा छट जाएँ।
ज्योतिर्मय प्रज्ञा का दीप जले हर हृदयांगन में,
निर्भय जीवन की ज्योति जले घर-ऑगन में ।
समता, ममता और करूणा के आंचल में पलता हर बचपन हो,
संयम, अनुशासन और संस्कारों के साँचे में ढलता हर यौवन हो,
मन से कलुष-भेद, हर अंतस से नफरत मिट जाए,
दरिद्रता हर चौखट से, हर चौराहे से दानवता मिट जाए।
पग-पग प्रकाश जग में उजियारा भर जाएँ----
अज्ञान, अविद्या और अंधविश्वास का सारा साम्राज्य बिखर जाएँ,
बुद्धि, विवेक और और प्रज्ञा से सारा संसार निखर जाएं।
पग-पग प्रकाश जग में उजियारा भर जाएँ।
छल-कपट, धूर्तता और प्रपंच हर गली-चौबारे लज्जित हो,
मूल्यों और मर्यादाओ से सारी मानवता सुसज्जित हो।
पग-पग प्रकाश जग में उजियारा---'
दुःख दर्द की हिस्सेदारी का एहसास मनुज को हो जाएं,
सुख समृद्धि की आपसदारी का एहसास मनुज को हो जाएं।
पग-पग प्रकाश जग में उजियारा भर जाएँ --
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
बापू स्मारक इंटर कांलेज दरगाह मऊ।
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