चाणक्य नीति कहती है कि संतान का योग्य और आज्ञाकारी होना माता पिता के लिए बड़ा सुख माना गया है.
चाणक्य नीति के अनुसार हर माता पिता की इच्छा होती है, उनकी संतान योग्य और आज्ञाकारी बने. माता पिता के लिए इससे बड़ा कोई दूसरा सुख नहीं माना गया है. माता-पिता संतान को कैसे योग्य बना सकते हैं इसके लिए आचार्य चाणक्य ने कुछ बातें बताई हैं. इन बातों को हर माता पिता को जानना चाहिए-
घर का वातावरण- चाणक्य नीति कहती है कि घर के माहौल का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है. इसलिए घर का माहौल हमेशा आदर्श बनाने का प्रयास करना चाहिए. घर के सदस्यों का बर्ताव एक दूसरे के प्रति प्रेम और आदर का होना चाहिए. इन सभी चीजों का बच्चों के मन और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और रिश्तों और संबंधों के बारे में एक बेहतर सोच विकसित होती है.
महापुरुषों के बारे में बताएं- चाणक्य नीति कहती है कि बच्चों को महापुरुषों के जीवन के बारे में बताना चाहिए. बचपन में बताई गई इन बातों का बच्चों पर बहुत गहरा असर पड़ता है. महापुरुषों के जीवन से बच्चों को अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा मिलती है.
माता-पिता बच्चों के सामने इन बातों का ध्यान रखें- चाणक्य नीति कहती है कि बच्चे सबसे ज्यादा माता पिता से ही सीखते हैं. इसलिए माता पिता को आपस में सदैव आदर्श व्यवहार करना चाहिए. एक दूसरे को आदर सम्मान देना चाहिए. भाषा और वाणी का विशेष ध्यान रखना चाहिए. बच्चों के सामने कभी अमर्यादित व्यवहार नहीं करना चाहिए. ये सभी चीजे बच्चों पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालती हैं.बच्चों का मन बहुत कोमल होता है. इसलिए ये सभी बातें बच्चों को अधिक प्रभावित करती हैं.
सही और गलत का बोध कराएं- चाणक्य नीति कहती है कि बच्चों को सही और गलत का बोध अवश्यक कराएं. यदि माता पिता बच्चों को समय समय पर सही और गलत को भेद बताते रहना चाहिए. ऐसा करने से संतान गलत कार्यों से दूरी बनाती है. माता पिता को बच्चों को अच्छे संस्कार देने का प्रयास करना चाहिए. संस्कार बच्चों को योग्य और आज्ञाकारी बनाते हैं. सफलता में संस्कार की भूमिका अहम मानी गई है. लक्ष्मी जी की भी कृपा प्राप्ती होती है.
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