इस बार डोली पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, जानिए किस पर क्या और कैसा होगा असर?


इस बार देवी डोली पर सवार होकर आ रही हैं. देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं. देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश और जनता पर इसका असर भी अलग-अलग होता है.

पितृपक्ष की समाप्ति के साथ ही आश्विन मास के शुक्ल पक्ष का समय शुरू हो रहा है. आने वाले 9 दिन माता अंबा की पूजा से संबंधित हैं. मां अंबा यानी कि देवी दुर्गा, जो कि महिषासुर मर्दिनी हैं और जगत जननी हैं. देवी की आराधना के इन पवित्र दिनों को नवरात्रि कहते हैं, यानी वह समय जब देवी मां अपने भक्तों के घर पधारती हैं, उनका हाल जानती हैं और अपनी कृपा का पात्र बना लेती हैं.

वेसे तो देवी का वाहन सिंह है, लेकिन यह तभी उनका वाहन है जब वे युद्ध रत होती हैं. भक्तों के पास आने के लिए मां भगवती अलग-अलग वाहनों का चुनाव करती हैं. इस बार मां नवरात्र की शुरुआत 7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से हो रही है.

इस बार गुरुवार से शुरू हो रही है नवरात्रि : 

इस बार देवी डोली पर सवार होकर आ रही हैं. देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं. देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश और जनता पर इसका असर भी अलग-अलग होता है.

इस आधार पर तय होता है वाहन :

देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह दिनों के आधार पर तय होता है. सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं. इस बार के नवरात्र की शुरुआत गुरुवार से हो रही है. ऐसे में माता की सवारी डोली है.

इन तथ्यों को देवी भागवत के इस श्लोक में वर्णन किया गया है.  

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे,

गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता.

यह होता है शुभ-अशुभ असर :

माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं के भी संकेत मिलते हैं. इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है.

घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है. देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं. इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है.

गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे,

नौकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्.





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