चाणक्य नीति : ऐसे धन को हाथ लगाने से होती है सम्मान की हानि


आचार्य चाणक्य मानते हैं कि व्यक्ति को जिस धन के लिए यातना सहनी पड़े, उसका त्याग करना ही बेहतर है।

महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक मानी जाती हैं। चाणक्य जी ने अपनी नीतियों के बल पर ही नंद वंश का नाश कर एक साधारण से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का सम्राट बनाया था। आचार्य चाणक्य को ना केवल राजनीति बल्कि लगभग हर विषयों की गहराई से समझ थी। महान बुद्धिजीवी और रणनीतिकार आचार्य चाणक्य अपनी बुद्धिमानी को लेकर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। चाणक्य जी ने समाज का मार्गदर्शन करने के लिए एक नीति शास्त्र की रचना की थी। इसलिए तो आज भी माना जाता है कि जो व्यक्ति चाणक्य जी की नीतियों का अनुसरण करता है, उसे जीवन में कभी भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता और वह अपने परिवार के साथ सुखी जीवन व्यतीत करता है।

चाणक्य जी ने अपने नीति शास्त्र में ऐसे धन के बारे में बताया है, जिसे हाथ लगाने से व्यक्ति के मान-सम्मान को हानि पहुंचती थी। जानते हैं कि क्या कहती है चाणक्य नीति-

सदाचार का त्याग : चाणक्य जी कहते हैं कि व्यक्ति को ऐसे धन को कमाने से बचना चाहिए, जिसके लिए उन्हें सदाचार का त्याग करना पड़े। क्योंकि धोखाधड़ी से कमाया गया धन, ना तो आपके बुरे समय में काम आता है। साथ ही इसके कारण आपके मान-सम्मान को हानि पहुंचती है। इसलिए चाणक्य जी मानते हैं कि सदाचार को त्यागकर धन कमाने से बचना चाहिए।

शत्रु की चापलूसी : आचार्य चाणक्य ऐसे धन को व्यर्थ मानते हैं, जो शत्रु की चापलूसी करके कमाया गया हो। क्योंकि ऐसा धन प्राप्त करने से मनुष्य को हमेशा अपमानित होना पड़ता है। इसलिए ऐसे धन का त्याग करना ही उचित माना जाता है।

यातना सहनी पड़े : आचार्य चाणक्य मानते हैं कि व्यक्ति को जिस धन के लिए यातना सहनी पड़े, उसका त्याग करना ही बेहतर है। क्योंकि ऐसे धन को कमाने के लिए आपको शारिरिक और मानसिक कष्ट सहना पड़ता है, जिसे देखकर आपका परिवार बहुत दुखी होता है।





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