कार्तिक माह में तुलसी की पूजा का है विशेष महत्व, तुलसी को छूकर ये मंत्र जपने से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं

 


हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना गया है. कहते हैं कि कार्तिक माह में तुलसी के पौधे की पूजा करने का विशेष महत्व है. तुलसी के पौधे को लक्ष्मी जी का प्रतीक माना गया है.

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे (Tulsi Plant) को पूजनीय माना गया है. कहते हैं कि कार्तिक माह में तुलसी के पौधे (Kartik Month Tulsi Plant) की पूजा करने का विशेष महत्व है. तुलसी के पौधे को लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) का प्रतीक माना गया है. कहते हैं कि तुलसी भगवान विष्णु (Vishnu Bhagwan Favourite Tulsi) को अत्यंत प्रिय है. इसलिए श्री हरि की पूजा (Shri Hari Puja) के समय उन्हें तुलसी अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. और भक्तों की सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं. चतुर्मास की शुरुआत में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार माह की योग निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास की देवउठानी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2021) के दिन जागते हैं. सालभर के सभी बड़े त्योहार कार्तिक मास में ही पड़ते हैं. कहते हैं कि इस माह में तुलसी की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

मान्यता है कि घर में तुलसी का पौधा होने पर नियमित रूप से उसकी पूजा करनी चाहिए. साथ ही रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को पानी नहीं देना चाहिए. कार्तिक मास में सुबह-शाम तुलसी के आगे दीपक जलाना चाहिए. और पूजा-पाछ करना शुभ माना जाता है. इससे घर में दरिद्रता और दुर्भाग्य नहीं आता. 

ऐसा माना जाता है तुलसी के पौधे में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का निवास होता है. घर में तुलसी का पौधा रखने और पूजा करने से नकारात्मकता (Negative Energy) दूर होती है. मान्यता है कि कार्तिक मास में तुलसी के पौधे की पूजा के समय इस मंत्र का जाप (Tulsi Mantra Jaap) किया जाए, तो मनचाहा फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं तुलसी मंत्र (Tulsi Mantra) के बारे में और मंत्र का जाप कैसे करें. 

तुलसी मंत्र : महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते..

तुलसी के पत्तों को छूते हुए इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए. कहते हैं कि इससे व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.

मंत्र से पहले रखें इन बातों का ध्यान :

1. तुलसी मंत्र का जाप करने से इस बात का ध्यान रखें कि पहले अपने ईष्टदेव की पूजा करें. इसके बाद ही तुलसी मंत्र का जाप करें. 

2. तुलसी मंत्र का जाप शुरू करने से पहले तुलसी को प्रणाम करना चाहिए और पौधे में शुद्ध जल अर्पित करने के बाद ही मंत्र का जाप शुरू करें.

3. इसके बाद तुलसी जी का शृंगार हल्दी और सिंदूर चढ़ा कर करें. इसके बाद तुलसी जी के आगे घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं. 

4. इन सब के बाद तुलसी जी के पौधे की 7 बार परिक्रमा लगाएं. इसके बाद ऊपर बताए गए मंत्र का जाप करें. जाप के बाद तुलसी जी को छूकर सभी मनोकामनाएं बोल दें. 







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