हमारी सनातनी परम्पराओं और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को सम्पूर्ण संसार का पहला अभियंता और सृजन, रचना, निर्माण तथा शिल्प का देवता माना जाता है। आज वास्तु शिल्प, काष्ठ शिल्प, लौह शिल्प, मृतिका शिल्प और हस्तशिल्प जैसे विविध शिल्प क्षेत्रो में अपने अद्भुत कौशल तथा कारीगरी द्वारा मनुष्य के जीवन को सरल, सहज और सुखमय बनाने के लिए विविध मानवोपयोगी वस्तुओं को निर्मित और शिल्पित करने वाले परिश्रमी पुरूषार्थियो को स्मरण करते हुए भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की जाती हैं। आज भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हुए सम्पूर्ण जनमानस भारतीय अभियांत्रिकी के देदिप्यमान नक्षत्र मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जैसे उन
अनगिनत अभियंताओ को अत्यंत श्रद्धा भाव से स्मरण करता है और महिमामंडित करता हैं जो अपने अभियांत्रिकी कौशल से सृजन, रचना और निर्माण के क्षेत्र में अनवरत अनगिनत कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं तथा मानवता को लाभान्वित कर रहे हैं। आज भाद्रपक्ष के पवित्र माह के पवित्र अवसर पर भारत में परमाणु कार्यक्रम के प्रणेता होमी जहांगीर भाभा, अंतरिक्ष अभियांत्रिकी के संस्थापक विक्रम साराभाई सहित उन समस्त अभियंताओ, वास्तुशिल्पियो हस्तशिल्पियो, मृतिका शिल्पियो, महान मूर्धन्य मूर्तिकारों और कुशल कारीगरों को महिमामंडित करना ही वास्तविक अर्थों में भगवान विश्वकर्मा की सच्ची आराधना हैं। अत्यंत प्राचीन काल से भारतीय बसुन्धरा वास्तुशिल्प हस्तशिल्प और मृतिका शिल्प की दृष्टि से बहुत उर्वरा भूमि रहीं हैं। इसलिए आज उन बहुविवीध महान भारतीय शिल्पियों को स्मरण करते हुए नमन करने का दिन है जिन्होंने अपने अभियांत्रिकी और तकनीकी दक्षता तथा वास्तु कौशल से अजन्ता एलोरा की गुफाओं से लेकर ताजमहल तक अनगिनत अद्वितीय इमारतें बनाई है। खजुराहों के मंदिर, कोणार्क का सूर्य मन्दिर, मीनाक्षी मंदिर और नटराजन मंदिर और स्वर्ण मंदिर भारतीय वास्तुकला और वास्तुशिल्प के ऐसे अनगिनत चमत्कार हैं जिनको पूरी दुनिया के लोग आज भी आश्चर्य चकित होकर देखते रहते हैं। आज सम्पूर्ण विश्व को अपने हाथों की जादूगरी से अद्भुत सौन्दर्य प्रदान करने वाले तथा तरक्की के नित नए औजारों से सम्पूर्ण मानव प्रजाति को परिपूर्ण करने वाले महारथियों को नमन करने का अवसर है। आज भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हुए उन विभूतियों को सच्ची श्रद्धा से स्मरण करने की आवश्यकता है जिन्होंने अपने सृजनात्मक, रचनात्मक और सकारात्मक प्रयासों से मानवता को विकास और उन्नति की बुलंदी पर पहुंचाने के लिए अपना सर्वस्व और सर्वोच्च न्योछावर कर दिया। आज समवेत स्वर से प्रार्थना की जाती है कि-सृजन, रचना, निर्माण और शिल्प के देवता की महिमा से सम्पूर्ण सृष्टि अपने सबसे सुन्दरतम, श्रेष्ठतम और करुणामयी स्वरुप में निरंतर निखरती रहे।
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।
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