कब है जन्माष्टमी, कजरी तीज, अजा एकादशी? यहां देखें भादो के व्रत एवं त्योहार


हिन्दी पंचांग के अनुसार हिन्दू कैलेंडर के नए माह भाद्रपद का प्रारंभ 23 सितंबर दिन सोमवार से हो गया ​है। सावन के बाद भाद्रपद या भादो माह आता है। आइए जानते हैं भादो माह के व्रत एवं त्योहारों के बारे में।

हिन्दी पंचांग के अनुसार हिन्दू कैलेंडर के नए माह भाद्रपद का प्रारंभ 23 सितंबर दिन सोमवार से हो गया ​है। भगवान शिव के प्रिय माह सावन के बाद भाद्रपद या भादो माह आता है। इस माह में कजरी तीज, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, अजा एकादशी, मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, परिवर्तिनी एकादशी, भाद्रपद अमावस्या, भाद्रपद पूर्णिमा समेत कई महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार आने वाले हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको इन व्रत और त्योहारों की सही तारीख और दिन के बारे में बता रहे हैं, ताकि आप पहले से इनके लिए तैयारियां कर लें और विधिपूर्वक व्रत एवं त्योहार मनाएं। आइए जानते हैं भादो माह के व्रत एवं त्योहारों के बारे में।

25 अगस्त: दिन: बुधवार: संकष्टी चतुर्थी, अखंड सौभाग्य का व्रत कजरी तीज या कजली तीज।

30 अगस्त: दिन: सोमवार: श्री कृष्ण जन्माष्टमी।

03 सितंबर: दिन: शुक्रवार: अजा एकादशी।

04 सितंबर: दिन: शनिवार: भाद्रपद का शनि प्रदोष।

05 सितंबर: दिन: रविवार: मासिक शिवरात्रि।

10 सितंबर: दिन: शुक्रवार: गणेश चतुर्थी, गणेश प्रतिमा स्थापना।

11 सितंबर: दिन: शनिवार: ऋषि पंचमी।

17 सितंबर: दिन: शुक्रवार: परिवर्तिनी एकादशी।

18 सितंबर: दिन: शनिवार: शनि प्रदोष व्रत।

19 सितंबर: दिन: रविवार: अनंत चतुर्दशी, गणेश प्रतिमा विसर्जन।

20 सितंबर: दिन: सोमवार: भाद्रपद पूर्णिमा।

प्रत्येक हिन्दी माह में दो एकादशी, दो चतुर्थी, दो प्रदोष व्रत, एक शिवरात्रि, एक आमवस्या और एक पूर्णिमा होती है। भाद्रपद माह में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी बड़े उत्सव के मौके हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सभी कृष्ण मंदिरों में शुभ मुहूर्त के समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। संतान प्राप्ति के लिए इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करते हैं ताकि उनको भी बाल गोपाल प्राप्त हों।

वहीं गणेश चतुर्थी के प्रथम दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है। फिर विधिपूर्वक पूजा करते हैं। फिर चतुर्दशी तक गणपति बप्पा की नियमित पूजा की जाती है। उस दिन उनका विसर्जन भी कर दिया जाता है। गणपति बप्पा से सभी अगले वर्ष फिर आने का निवदेन करते हैं, ताकि उनके जीवन में सुख, समृद्धि आए और संकटों का नाश हो जाएजाए। 

साभार- जागरण






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