मॉनसून में पिएं स्पेशल 'तुलसी काढ़ा', बीमारियां रहेंगी कोसों दूर


तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसके गुण कई बड़ी बीमारियों से आपको छुटकारा दिला सकते हैं. 

नियमित रूप से तुलसी का काढ़ा पीने से टॉक्सिक पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

इस समय कोरोना वायरस के डर से फिलहाल हर कोई परेशान नजर आ रहा है. इसके अलावा मॉनसून में भी कई प्रकार की बीमारियां लोगों को घेर लेती हैं. आपको बता दें कि कि वायरल संक्रमण का खतरा कमजोर इम्यूनिटी वालों को सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए हेल्दी फूड्स और ड्रिंक्स को डाइट में जरूर शामिल करें. आयुर्वेद की मदद से आप इम्यूनिटी को मजबूत बना सकते हैं. मॉनसून में हल्दी और तुलसी का काढ़ा न सिर्फ इम्यूनिटी को मजबूत करता है बल्कि सर्दी-जुकाम और गले में खराश की समस्या को भी दूर करने में मदद करता है. आपको बता दें कि तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसके गुण कई बड़ी बीमारियों से आपको छुटकारा दिला सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी और हल्दी को एकसाथ मिलकार कैसे इसका काढ़ा बनाएं और किस तरह इसे पिएं.

काढ़ा बनाने के लिए सामग्री : 

8 से 10 तुलसी पत्ता

आधा चम्मच हल्दी पाउडर

3 से 4 लौंग

2 से 3 चम्मच शहद

1 से 2 दालचीनी स्टीक

काढ़ा बनाने की विधि : सबसे पहले एक पैन में पानी लें और उसमें तुलसी पत्ता, हल्दी पाउडर, लौंग और दालचीनी डालें. इसके बाद इसे कम से कम 30 मिनट तक उबलने के लिए छोड़ दें. फिर इस पानी को छान लें और हल्का ठंडा होने पर पिएं. स्वाद के लिए आप इसमें शहद मिला सकते हैं. इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए और सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए आप इस काढ़ा को रोजाना 2 से 3 बार पिएं.

तुलसी काढ़ा पीने के फायदे : 

-सर्दी-जुकाम और गले में खराश महसूस होने पर तुलसी और हल्दी का काढ़ा पीने से राहत मिलती है.

-डायबिटीज के मरीजों को भी तुलसी का काढ़ा पीने की सलाह दी जाती है. इससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.

-नियमित रूप से तुलसी का काढ़ा पीने से टॉक्सिक पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

-काढ़ा पीने से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर रहती हैं. कब्ज और लूज मोशन की समस्या से भी राहत मिलती है. इसके अलावा पेट भी ठीक रहता है.

-दिन में 3 बार हल्दी और तुलसी का काढ़ा पिएं. यह काढ़ा बुखार में भी बहुत लाभकारी होता है. इससे वायरल इंफेक्शन से काफी हद तक बचा जा सकता है. 

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)



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