धर्म जाति और सामाजिक समीकरणों से ऊपर उठकर सृजन रचना निर्माण और विकास की राजनीति में विश्वास करते थे कल्पनाथ राय


सरयू और घाघरा के निर्मल जल से अभिसिंचिंत वनअवध की माटी के सुप्रसिद्ध गाँव सेमरी जमालपुर में पैदा हुए विकास पुरुष कल्पनाथ राय ने सारी संकीर्णताओ से दूर हटकर सृजन, रचना, निर्माण और विकास की राजनीति को भारतीय राजनीति में स्थापित करने का श्लाघनीय प्रयास किया। साहित्यिक और सांस्कृतिक अभिव्यंजनाओ के अनुसार हर दौर का शिशु अपने दौर की समस्त सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों की उपज होता हैं ।कल्पनाथ राय के व्यक्तित्व और कृतित्व का गम्भीरता से अवलोकन किया जाए तो निश्चित रूप से प्रतीत होता है कि-स्वाधीनता संग्राम की अवसान और निर्णायक बेला में (4 जनवरी 1941) पैदा हुए विकास पुरुष कल्पनाथ राय न केवल अपने समय की समस्त सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों की कोख़ की वास्तविक उपज थे बल्कि स्वाधीनता संग्राम के महान मूल्यों, मर्यादाओं, मान्यताओ, आदर्शो और विचारों से गहरे रूप से अनुप्राणित थे। शहीदों के सपनों का भारत बनाने की तडप और बेचैनी कल्पनाथ राय के सीने में हिलोरे ले रही थी। इसलिए विकास पुरुष को जाति, धर्म, कुल, कुनबे की सडांध भरी ओछी राजनीति तनिक भी स्पर्श नहीं कर पाई। छात्र जीवन से ही कल्पनाथ राय के मन में  बेहतर समाज बनाने के सपने तैरने लगे थे। जिस उम्र में एक तरूण अपने बेहतर भविष्य के सपने संजोने लगते हैं उस उम्र में कल्पनाथ राय अपने सपनों को तिलांजली देकर जनमानस के सपनों को साकार करने के ख्वाब सँजोने लगे। महात्मा बुद्ध की कर्मभूमि और गुरु गोरक्षनाथ की धर्मभूमि में स्थापित गोरखपुर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति करने वाले कल्पनाथ राय ने आचार्य नरेन्द्र देव, डा राम मनोहर लोहिया, आचार्य कृपलानी, राजनारायण और युवा तुर्क चन्द्रशेखर के मार्गदर्शन में और विशुद्ध समाजवादी पृष्ठभूमि में राजनीति का ककहरा सीखा। इसलिए निःस्वार्थ से समतामूलक समाज बनाने तथा जनता की सच्ची सेवा करने का संकल्प लिया। सत्तर के दशक में श्री हेमवती नंदन बहुगुणा के माध्यम से आयरन लेडी श्रीमती इन्दिरा गाँधी से मुलाकात ने कल्पनाथ राय के समतामूलक समाज बनाने के संकल्प पर विकास का तडका लगा दिया। इस मुलाकात ने बगावती तेवर वाले कल्पनाथ राय के अन्दर यह समझदारी पैदा कर दी कि-समाज के विकास के लिए आवश्यक आधुनिक तकनीकी संस्थाओं और तरक्की के औजारों की स्थापना तथा आधारभूत संरचनाओं का जाल विछाना आवश्यक है। इस समझदारी के साथ कल्पनाथ राय ने पूर्वांचल के सर्वाधिक पिछड़े जिले मऊ का कायाकल्प करने का दृढ़ निश्चय किया। सृजन, रचना, निर्माण और विकास के इस महासंकल्प में जब प्रशासनिक अडचने आई तो उन्होंने अपने प्रयास से 1988 मे मऊ जनपद की स्थापना कराने में सफलता प्राप्त की। स्थापना के महज दस साल में ही मऊ जनपद को तरक्की और विकास विकास की उस बुलंदी तक पहुँचा दिया जिसकी चर्चा और परिचर्चा पूर्वांचल के हर चट्टी चौराहे से लेकर दिल्ली और लखनऊ के सियासी गलियारों में आज तलक बदस्तूर जारी हैं। कल्पनाथ राय ने अपने पराक्रम, प्रतिभा और परिश्रम और न केवल ॠषिओ मुनियों की तपोभूमि वनअवध की कोख को धन्य कर दिया बल्कि तरक्की के आधुनिक संस्थानों और प्रतिष्ठानों को जमीन पर उतार कर अपनी माटी को राष्ट्रीय स्तर पर चमकाने और महकाने का अद्वितीय प्रयास किया। अपने निरंतर प्रयासों से विकास और निर्माण की एक ऐसी इबारत लिखी जिसकी खुशबू से पूरे पूर्वांचल की सियासत महकने लगी। शिक्षा के क्षेत्र में नवोदय विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय और कृषि शोध संस्थान,चिकित्सा के क्षेत्र में जनपद मुख्यालय पर पी जी आई माॅडल का अस्पताल, कृषि क्षेत्र में  शानदार घोसी चीनी मिल,जनपद के गांव गली कूंचे को रोशनी से जगमगाने के लिए अनेक उर्जा केन्द्रों की स्थापना, जनपद मुख्यालय और मऊ शहर के चारों तरफ ओवरब्रिज, यातायात के क्षेत्र में शानदार रेलवे स्टेशन शानदार सड़कों का निर्माण इत्यादि अनगिनत कीर्तिमान विकास पुरुष कल्पनाथ राय के शानदार व्यक्तित्व और कृतित्व की निशानी है और उनके सीने में मऊ को लखनऊ सरीखा शहर बनाने की तड़प और बेचैनी की कहानी बयां कर रहे हैं। इसमें मऊ जनपद के महान स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में निर्मित शहीद पथ सर्वाधिक चर्चा का विषय रहा। विकास इन सच्चे और इमानदार प्रयासों के कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में सृजन रचना निर्माण और विकास को स्थापित करने वाले दिग्गज महारथियों पंडित कमलापति त्रिपाठी, स्वर्गीय श्री बीर बहादुर सिंह की परम्परा में कल्पनाथ राय का नाम भी आदर सम्मान के साथ लिया जाता है। स्वाधीनता उपरांत भारतीय राजनीति में समाजवादी पाठशाला के राजनीतिक विद्यार्थी रहे कल्पनाथ राय ने निर्माण और विकास यात्रा में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया। 

विकास और निर्माण की राजनीति के पक्षधर  कल्पनाथ राय भारतीय सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप सर्वसमावेशी धर्म निरपेक्ष राजनीति के प्रखर समर्थक थे। विकास की राजनीति का नशा विकास पुरुष के मन मस्तिष्क और हृदय में इस कदर छाया रहा कि- निराशावादी और नकारात्मक राजनीति कल्पनाथ राय के व्यक्तित्व को स्पर्श नहीं कर पाई। अपने सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन में वह गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन से लडते रहे कभी किसी व्यक्ति को कभी  अपना दुश्मन नहीं बनाया। वह सर्वदा सकारात्मक ,रचनात्मक और सृजनात्मक राजनीति के पक्षधर रहे। एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए कल्पनाथ राय ने अपनी प्रतिभा और राजनीतिक कौशल से भारतीय राजनीति में एक सम्मानजनक स्थान बनाया। तीन बार कांग्रेस पार्टी से राज्य सभा सदस्य और चार बार लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। श्रीमती इन्दिरा गांधी और नरसिंह राव की सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। जनमानस में लोकप्रियता का आलम यह रहा कि- एक बार घोसी लोकसभा से जेल में रहते हुए लगभग निर्दल प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुए। सृजन रचना निर्माण और विकास की राजनीति को भारतीय राजनीति में स्थापित करने वाले श्लाका पुरुषों में विकास पुरुष कल्पनाथ अग्रपांक्तेय रहेंगे। आज उनकी पुण्यतिथि पर सम्पूर्ण जनमानस आहे भरते हुए स्मरण कर रहा है कि-काश आज की मनहूस घडी नहीं आई होती तो जनपद के विकास का पहिया ना ठहरता और न थमता। आज विकास पुरुष के सद्प्रयत्नो से निर्मित प्रत्येक संस्थान और प्रतिष्ठान विधवा विलाप कर रहे हैं। आज विकास पुरुष को उनकी पुण्यतिथि पर इस उम्मीद के साथ स्मरण करे कि-वह व्यक्तित्व फिर इस बसुन्धरा पर किसी न किसी रूप में अवतरित हो और जनपद का रुदन और विधवा विलाप समाप्त हो। हर मन की कल्पना का मऊ बनाने के लिए जीवनपर्यन्त क्रियाशील रहे कल्पनाथ राय अपनी कर्मठ्ता, क्रियाशीलता और अद्वितीय कृतकार्यो के विकास की सोच रखने वाले हर हृदय में जिन्दा रहेगे।

 


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।



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