चाणक्य नीति : इन परिस्थितियों में पत्नी और भाई-बहन समेत इन लोगों का छोड़ देना चाहिए साथ


आचार्य चाणक्य को एक महान अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और शिक्षाविद माना जाता है। चाणक्य को जीवन के हर पहलु का अच्छी तरह से ज्ञान था। यही कारण है कि उनके ग्रंथ नीति शास्त्र में वर्णित बातें आज भी प्रासंगिक हैं। चाणक्य नीतियों को अपनाकर लोग आज भी अपना जीवन सरल बनाते हैं। आचार्य ने पत्नी, भाई-बहन, गुरु और धर्म को काफी महत्वपूर्ण माना है। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में इनका त्याग करने की भी सलाह दी है। पढ़ें आज की चाणक्य नीति :-

त्यजेद्धर्मं दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्
त्यजेत्क्रोधमुखं भार्यां नि:स्नेहान् बान्धवांस्त्यजेत्।

1. चाणक्य कहते हैं कि गुरु का स्थान माता-पिता के बराबर होता है। गुरु शिष्य को सही रास्ता दिखाता है और उस पर चलने के लिए प्रेरित करता है। अगर गुरु ज्ञानहीन है और शिष्य को सही शिक्षा नहीं देता है, तो ऐसे गुरु का त्याग कर देना चाहिए।

2. चाणक्य के अनुसार, धर्म व्यक्ति को अंहिसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। नीति शास्त्र के अनुसार, जिस धर्म में दया का उपदेश न हो और वह व्यक्ति से मानवता खत्म कर दे और उसे बर्बादी के रास्ते पर ले जाए, ऐसे धर्म का त्याग करना ही उचित होता है।

3. पति-पत्नी का रिश्ता दुख-सुख में साथ निभाने का होता है। जिस घर में पति-पत्नी शांतिपूर्वक रहते हैं, वह घर स्वर्ग समान होता है। जहां पत्नी क्रोधी और पति का साथ नहीं देने वाली होती है, उस व्यक्ति का जीवन नर्क के समान होता है। इस स्थिति में पत्नी का त्याग करना ही बेहतर है।

4. चाणक्य के अनुसार, मुश्किल समय में भाई-बहन भी सहारा होते हैं। लेकिन भाई-बहन आपके प्रति स्नेह भाव नहीं रखते हैं, तो उन्हें त्यागना ही बेहतर होता है।





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