उत्तराखंड में पहली बार मिला दुर्लभ प्रजाति का कोरल स्नेक, है बहुत खतरनाक


उत्तराखंड के मसूरी में पहली बार जहरीले सांपों की प्रजाति का सबसे छोटा कोरल स्नेक मिला है. लाल रंग के इस सांप का जहर दो घंटे में एक इंसान की जान ले सकता है.

उत्तराखंड में पहली बार दुर्लभ प्रजाति का सांप कोरल स्नेक पाया गया है. ये सफलता मिली है भारतीय वन्य जीव संस्थान, डब्लूआईआई के साइंटिस्टों को. डब्लूआईआई के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अभिजीत दास उत्तराखंड में सांप और मेंढ़क की प्रजातियों पर रिसर्च कर रहे हैं. रिसर्च के सिलसिले में ही डॉ. दास मसूरी क्षेत्र के भ्रमण पर थे. इसी दौरान डॉ. दास और उनकी टीम को मसूरी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से लगे एरिया में अचानक कोरल स्नैक दिखाई दिया. 

इससे सांइटिस्टों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. क्योंकि, उत्तराखंड में पहली बार कोरल स्नैक रिकॉर्ड किया जा रहा था. हरपटोलॉजी में रूचि रखने वाले साइंटिस्ट, रिसचर्स के लिए ये एक बड़ी उपलबधि थी. डॉ. अभिजीत दास कहते हैं कि कोरल स्नेक का मिलना हमारी टीम के लिए बहुत ही लकी और इनटेस्टिंग था.इससे पहले कोरल स्नैक हिमाचल प्रदेश के सोलन में भी रिकॉर्ड किया गया है. 

डॉ. अभिजीत दास के अनुसार उत्तराखंड में पाई जाने वाले जहरीले सांपों की प्रजाति में कोरल स्नैक सबसे छोटा सांप है. ये लाल रंग का खूबसूरत लेकिन, जहरीला सांप होता है. आमतौर पर ये जंगलों में ही मिलता है, लेकिन यदि इसे किसी मनुष्य को बाइट कर दिया, तो समय पर उपचार न मिलने के अभाव में उसकी दो घंटे के भीतर मौत भी हो सकती है. कोरल स्नेक का जहर शिकार के नर्वस सिस्टम को बहुत तेजी से इफैक्ट करता है. 

कोरल स्नेक सबसे पहले 1908 में खोजा गया था. अंग्रेज हरपटोलॉजिस्ट कर्नल फ्रैंकवाल ने इसकी खोज की थी. दुर्लभ प्रजाति का होने के कारण साइंटिस्ट को अभी इसके बार में बहुत कम जानकारी है. डॉ. अभिजीत दास कहते हैं कि अभी कोरल स्नेक पर और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है. उत्तराखंड में अभी तक सांप की 36 प्रजातियां रिकॉर्ड की गई हैं. कोरल स्नेक के भी इसमें शामिल हो जाने से अब उत्तराखंड में सांपों की 37 प्रजातियां हो गई हैं.

साभार-News 18




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