काढ़ा और इम्युनिटी बढ़ाने की दवाएं किडनी पर पड़ीं भारी


कोरोना की दूसरी लहर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अंधाधुंध काढ़ा और इम्युनिटी बूस्टर दवाओं का सेवन किडनी पर भारी पड़ गया है। पोस्ट कोविड मरीजों में एक्यूट किडनी इंजरी पाई गई है, इसके साथ ही नॉन कोविड भी इसके शिकार हो गए हैं। बीमारों की संख्या में रोज हो रहे इजाफे से डॉक्टर भी हैरान हैं।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट में जून से चार जुलाई तक 119 मरीज रिपोर्ट किए गए हैं। इनमें पोस्ट कोविड के साथ 38 नॉन कोविड मरीज भी हैं। डॉक्टरों की टीम ने केस हिस्ट्री और अलग-अलग टेस्ट कराए तो सब कुछ सामने आ गया। मरीजों ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में व्हाट्सएप ग्रुप या परिचितों की सलाह पर कई तरह के काढ़े का सेवन एक से ढाई महीने तक किया।

बिना डॉक्टर की सलाह के इम्युनिटी बूस्टर की दवाएं,  जिंक, विटामिंस अंधाधुंध खाईं। मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. युवराज गुलाटी के मुताबिक इसी वजह से एक्यूट किडनी इंजरी मिली है, साथ ही किसी को यूरिन बहुत अधिक होने तो किसी को कम की शिकायतें आई हैं। मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट में किडनी में गंभीर जख्म मिले।

सेवन बंद कराने से राहत

डॉक्टरों ने काढ़े और दवाओं का सेवन बंद कराया तो मरीजों को राहत मिली। हालांकि अभी भी थकान, सांस लेने में दिक्कत, पैरों और टखनों में सूजन है। तंत्रिका तंत्र की समस्या के साथ मूत्र पथ पर भी थक्के मिले हैं। आधे से ज्यादा मरीजों ने बताया कि उनके परिवार में किसी को भी किडनी की बीमारी नहीं है, इसके बाद भी उन्हें समस्या हो गई।

अब 70 फीसदी मरीजों में एकेआई से राहत के लक्षण दिखने लगे हैं। केस हिस्ट्री के साथ यूरिन उत्पादन को मापना, परीक्षण, जीआरएफ टेस्ट, इमेजिंग परीक्षण तक कराना पड़ा है। अध्ययन में यही सामने आया है कि विभिन्न तरह के काढे़ और दवाओं के सेवन से ब्लड में अपशिष्ट उत्पादों का निर्माण होता रहा और किडनी को शरीर में द्रव का सही संतुलन बनाने में मुश्किल हुई। सभी को सलाह है कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं न खाएं। 

- डॉ. युवराज गुलाटी, सहायक प्रोफेसर नेफ्रोलॉजी विभाग जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज



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